कॉर्पोरेट सुपर मुनाफों के लिए मजदूरों से निर्ममता

संपादकीय, ‘सर्वहारा’ अखबार (अंक 53 – 16 जून, 2024) इस वक्त देश में जबरदस्त हीटवेव चल रही है। इस बेहद गर्मी में शरीर में पानी की कमी होने से गंभीर बीमारी का जोखिम रहता है जिससे जान भी जा सकती है। ऐसे में भी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक अमेजन अपने गोदामों … More कॉर्पोरेट सुपर मुनाफों के लिए मजदूरों से निर्ममता

Adani’s Coal Scam Behind Rising Electricity Prices

(Click here to read this article in Hindi.) The truth behind the rising electricity prices and electricity bills that lighten the pockets of common people has been revealed in a report published in ‘Financial Times’ on 22nd May 2024. In the last few years, this newspaper has published 25 detailed reports on the Adani coal … More Adani’s Coal Scam Behind Rising Electricity Prices

महंगी होती बिजली के पीछे अडानी का कोयला घोटाला

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।) बिजली की बढ़ती कीमतों और आम लोगों की जेबें हल्की करते बिजली बिल के पीछे की सच्चाई का बड़ा खुलासा ‘फिनांशीयल टाइम्स’ में विगत 22 मई को छपी रिपोर्ट में किया गया है। इस अखबार ने पिछले कुछ सालों में 2014 में शुरू हुए … More महंगी होती बिजली के पीछे अडानी का कोयला घोटाला

चुनाव बाद परिस्थितियों पर एक नजर

संपादकीय, ‘सर्वहारा’ अखबार (अंक 52) – 1 जून 2024 1 जून को 18वीं लोक सभा चुनाव का 7वां और अंतिम दौर समाप्त हो जाएगा। इसके साथ ही हर पांच सालों पर आने वाला ‘जनतंत्र’ का महापर्व और इसका चुनावी शोरगुल बंद भी हो जाएगी। 4 जून को हार-जीत का रिजल्ट आने के बाद किसकी हार … More चुनाव बाद परिस्थितियों पर एक नजर

कृषि कानून वापसी : चारों तरफ से घिरा भे‍ड़ि‍या फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब

कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर एक त्वरित प्रतिक्रिया : संपादक मंडल, यथार्थ |

चारों तरफ से घिरा भे‍ड़ि‍या एक बार फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब ; साम्प्रदायिक साजिशों से खबरदार और आपस की एकजुटता को बनाये रखें; “आंदोलन की मार” और “चुनावी हार” की भाषा समझने वाले वाले फासिस्टों को यूपी में हराने के लिये पूरी ताकत लगाएं; … More कृषि कानून वापसी : चारों तरफ से घिरा भे‍ड़ि‍या फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब

On the Right of Nations to Self-Determination: Understanding National Task of the Proletariat in the Spirit of Leninism

Paper presented by PRC, CPI (ML) at the Seminar on ‘National Question and Marxism’ organized by Adara ‘Pratibaddh’ in Barnala, Punjab on 7th November 2021. … More On the Right of Nations to Self-Determination: Understanding National Task of the Proletariat in the Spirit of Leninism

‘नक्सलबाड़ी’ – इतिहास की मुख्य कड़ियों का संक्षिप्त पुनरावलोकन : पीआरसी, सीपीआई (एमएल)

यह लेख मूलतः नवम्बर 2013 में हुई पीआरसी, सीपीआई (एमएल) की पहली [असल में दूसरी] पार्टी कांफ्रेंस के दस्तावेज में प्रकाशित किया गया था जिसे हम 25 मई 2021 को नक्सलबाड़ी आंदोलन की 54वीं वर्षगांठ पर पुनःप्रस्तुत कर रहे हैं। नक्सलबाड़ी : इतिहास की मुख्य कड़ियों के बारे में(एक अतिसंक्षिप्त पुनरावलोकन और चंद अन्य बातें) नक्सलबाड़ी, जो भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में आए एक सर्वाधिक … More ‘नक्सलबाड़ी’ – इतिहास की मुख्य कड़ियों का संक्षिप्त पुनरावलोकन : पीआरसी, सीपीआई (एमएल)

[किसान आंदोलन] बिगुल मंडली के साथ स्‍पष्‍ट होते हमारे मतभेदों का सार : यथार्थ

संपादक मंडल, यथार्थ यह लेख किसान आंदोलन पर आह्वान पत्रिका (बिगुल) के साथ हमारी जारी बहस के बीच उसके सार के रूप में तैयार किया गया है, जो मूलतः ‘यथार्थ’ पत्रिका (वर्ष 2, अंक 1 | मई 2021) में प्रकाशित हुआ है। इसे प्रकाशित करने के पीछे हमारा लक्ष्य है कि लंबी खिचती इस बहस में, जिसमें सैद्धांतिक पहलु भी व्याप्त हैं, बहस के मुख्य मुद्दे पाठकों की नज़र और समझ में बने रहें। किसान आंदोलन पर ‘यथार्थ’ व ‘द ट्रुथ’ पत्रिकाओं में छपे सभी लेखों, और इसके साथ ‘आह्वान’ में छपी हमारी आलोचना, की लिंक लेख के अंत में मौजूद … More [किसान आंदोलन] बिगुल मंडली के साथ स्‍पष्‍ट होते हमारे मतभेदों का सार : यथार्थ

“मार्क्सवादी चिंतक” की अभिनव पैंतरेबाजियां और हमारा जवाब [3]

प्रोलेटेरियन ऑर्गनाइसिंग कमेटी, सीपीआई (एमएल) कॉर्पोरेट के नए हिमायती क्या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [तीसरी किश्त] यह लेख ‘आह्वान’ पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना की तीसरी किश्त है। यथार्थ (अंक 11-12) में छपी पिछली किश्तों को पढ़ने के लिए यहां (पहली) और यहां (दूसरी) क्लिक करें। ‘द ट्रुथ’ (अंक … More “मार्क्सवादी चिंतक” की अभिनव पैंतरेबाजियां और हमारा जवाब [3]

Transformation Of Surplus Value Into Ground Rent And The Question Of MSP: Here Too Our Self-Proclaimed “Marxist Thinker” Looks So Miserable! [3]

What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against Revolutionaries [Third Instalment] Proletarian Reorganizing Committee, CPI (ML) Originally published in ‘The Truth’ (Year 2, Issue 1, May 2021), this article is the third instalment of our reply to a criticism presented in ‘Ahwan’ magazine. The first and second instalments of this reply … More Transformation Of Surplus Value Into Ground Rent And The Question Of MSP: Here Too Our Self-Proclaimed “Marxist Thinker” Looks So Miserable! [3]