कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर एक त्वरित प्रतिक्रिया : संपादक मंडल, यथार्थ | चारों तरफ से घिरा भेड़िया एक बार फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब ; साम्प्रदायिक साजिशों से खबरदार और आपस की एकजुटता को बनाये रखें; "आंदोलन की मार" और "चुनावी हार" की भाषा समझने वाले वाले फासिस्टों को यूपी में हराने के लिये पूरी ताकत लगाएं;
On the Right of Nations to Self-Determination: Understanding National Task of the Proletariat in the Spirit of Leninism
Paper presented by PRC, CPI (ML) at the Seminar on ‘National Question and Marxism’ organized by Adara ‘Pratibaddh’ in Barnala, Punjab on 7th November 2021.
‘नक्सलबाड़ी’ – इतिहास की मुख्य कड़ियों का संक्षिप्त पुनरावलोकन : पीआरसी, सीपीआई (एमएल)
यह लेख मूलतः नवम्बर 2013 में हुई पीआरसी, सीपीआई (एमएल) की पहली [असल में दूसरी] पार्टी कांफ्रेंस के दस्तावेज में प्रकाशित किया गया था जिसे हम 25 मई 2021 को नक्सलबाड़ी आंदोलन की 54वीं वर्षगांठ पर पुनःप्रस्तुत कर रहे हैं। नक्सलबाड़ी : इतिहास की मुख्य कड़ियों के बारे में(एक अतिसंक्षिप्त पुनरावलोकन और चंद अन्य बातें) नक्सलबाड़ी, जो भारत के कम्युनिस्ट आंदोलन में आए एक सर्वाधिक... Continue Reading →
[किसान आंदोलन] बिगुल मंडली के साथ स्पष्ट होते हमारे मतभेदों का सार : यथार्थ
संपादक मंडल, यथार्थ यह लेख किसान आंदोलन पर आह्वान पत्रिका (बिगुल) के साथ हमारी जारी बहस के बीच उसके सार के रूप में तैयार किया गया है, जो मूलतः 'यथार्थ' पत्रिका (वर्ष 2, अंक 1 | मई 2021) में प्रकाशित हुआ है। इसे प्रकाशित करने के पीछे हमारा लक्ष्य है कि लंबी खिचती इस बहस में, जिसमें सैद्धांतिक पहलु भी व्याप्त हैं, बहस के मुख्य मुद्दे पाठकों की नज़र और समझ में बने रहें। किसान आंदोलन पर 'यथार्थ' व 'द ट्रुथ' पत्रिकाओं में छपे सभी लेखों, और इसके साथ 'आह्वान' में छपी हमारी आलोचना, की लिंक लेख के अंत में मौजूद... Continue Reading →
“मार्क्सवादी चिंतक” की अभिनव पैंतरेबाजियां और हमारा जवाब [3]
प्रोलेटेरियन ऑर्गनाइसिंग कमेटी, सीपीआई (एमएल) कॉर्पोरेट के नए हिमायती क्या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [तीसरी किश्त] यह लेख ‘आह्वान’ पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना की तीसरी किश्त है। यथार्थ (अंक 11-12) में छपी पिछली किश्तों को पढ़ने के लिए यहां (पहली) और यहां (दूसरी) क्लिक करें। ‘द ट्रुथ’ (अंक... Continue Reading →
Transformation Of Surplus Value Into Ground Rent And The Question Of MSP: Here Too Our Self-Proclaimed “Marxist Thinker” Looks So Miserable! [3]
What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against Revolutionaries [Third Instalment] Proletarian Reorganizing Committee, CPI (ML) Originally published in 'The Truth' (Year 2, Issue 1, May 2021), this article is the third instalment of our reply to a criticism presented in ‘Ahwan’ magazine. The first and second instalments of this reply... Continue Reading →
कॉर्पोरेट को लाल सलाम कहने की बेताबी में शोर मचाती ‘महान मार्क्सवादी चिंतक’ और ‘पूंजी के अध्येता’ की ‘मार्क्सवादी मंडली’ का घोर राजनैतिक पतन [2]
प्रोलेटेरियन रिऑर्गनाइज़िंग कमिटी, सी.पी.आई. (एम.एल.) यह लेख ‘आह्वान’ पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना की दूसरी किश्त है। यथार्थ, अंक 11 में छपी पहली किश्त पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं – “कार्पोरेट के नए हिमायती क्या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [1]” आह्वान द्वारा जारी इस आलोचना पर 'द... Continue Reading →
Apologists Are Just Short Of Saying “Red Salute To Corporates” [2nd Instalment]
What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against Revolutionaries [Second Instalment] Proletarian Reorganizing Committee, CPI (ML) Originally published in 'The Truth', Issue 12 (April 2021), this is the second instalment of the reply to a criticism presented in ‘Aahwan’ magazine. The first and second instalment of the criticism can be read... Continue Reading →
कार्पोरेट के नए हिमायती क्या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [1]
पी.आर.सी., सी.पी.आई. (एम.एल.) यह लेख 'आह्वान' पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना है, जो मूलतः 'यथार्थ' पत्रिका, अंक 11 (मार्च 2021) में प्रकाशित हुई है। आलोचना को पाठक इस लिंक पर जा कर पढ़ सकते हैं। इस लेख की दूसरी किश्त को हिंदी व अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए क्रमशः यहां और यहां क्लिक करें। आह्वान द्वारा जारी इस आलोचना पर 'द ट्रुथ' के अंक... Continue Reading →
Make Diesel-Petrol-Gas Tax Free Stop Loot Of The Poor Raise Corporate Tax
S V Singh // ‘The Truth’ had carried first report on this burning topic in August issue. Seven months’ is too long a period during these dark times. Lot of water and human lives have flown down the Dhauliganga and Alakananda rivers in Chamoli District in Uttarakhand, a huge turnover of tractors and farmers has... Continue Reading →