बड़ी पूंजी (कॉरपोरेटों) के हक में आनन-फानन में किये जा रहे बिहार भूमि सर्वेक्षण पर रोक लगाओ!

भूमिहीनों, गरीबों को उजाड़ना बंद करो; भूमि पर उनका दावा बहाल करो! (बिहार में जारी वर्तमान भूमि सर्वेक्षण पर जन अभियान, बिहार द्वारा गांधी संग्रहालय, पटना में 9 जनवरी 2025 को आयोजित कन्वेंशन में पेश प्रपत्र।) जन अभियान, बिहार बिहार में चल रहे (बढ़ी हुई समय अवधि के साथ) भूमि सर्वे में अफरातफरी की स्थिति … More बड़ी पूंजी (कॉरपोरेटों) के हक में आनन-फानन में किये जा रहे बिहार भूमि सर्वेक्षण पर रोक लगाओ!

कृषि कानून वापसी : चारों तरफ से घिरा भे‍ड़ि‍या फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब

कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर एक त्वरित प्रतिक्रिया : संपादक मंडल, यथार्थ |

चारों तरफ से घिरा भे‍ड़ि‍या एक बार फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब ; साम्प्रदायिक साजिशों से खबरदार और आपस की एकजुटता को बनाये रखें; “आंदोलन की मार” और “चुनावी हार” की भाषा समझने वाले वाले फासिस्टों को यूपी में हराने के लिये पूरी ताकत लगाएं; … More कृषि कानून वापसी : चारों तरफ से घिरा भे‍ड़ि‍या फिर भेड़ की खोल में आने को बेताब

[किसान आंदोलन] बिगुल मंडली के साथ स्‍पष्‍ट होते हमारे मतभेदों का सार : यथार्थ

संपादक मंडल, यथार्थ यह लेख किसान आंदोलन पर आह्वान पत्रिका (बिगुल) के साथ हमारी जारी बहस के बीच उसके सार के रूप में तैयार किया गया है, जो मूलतः ‘यथार्थ’ पत्रिका (वर्ष 2, अंक 1 | मई 2021) में प्रकाशित हुआ है। इसे प्रकाशित करने के पीछे हमारा लक्ष्य है कि लंबी खिचती इस बहस में, जिसमें सैद्धांतिक पहलु भी व्याप्त हैं, बहस के मुख्य मुद्दे पाठकों की नज़र और समझ में बने रहें। किसान आंदोलन पर ‘यथार्थ’ व ‘द ट्रुथ’ पत्रिकाओं में छपे सभी लेखों, और इसके साथ ‘आह्वान’ में छपी हमारी आलोचना, की लिंक लेख के अंत में मौजूद … More [किसान आंदोलन] बिगुल मंडली के साथ स्‍पष्‍ट होते हमारे मतभेदों का सार : यथार्थ

“मार्क्सवादी चिंतक” की अभिनव पैंतरेबाजियां और हमारा जवाब [3]

प्रोलेटेरियन ऑर्गनाइसिंग कमेटी, सीपीआई (एमएल) कॉर्पोरेट के नए हिमायती क्या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [तीसरी किश्त] यह लेख ‘आह्वान’ पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना की तीसरी किश्त है। यथार्थ (अंक 11-12) में छपी पिछली किश्तों को पढ़ने के लिए यहां (पहली) और यहां (दूसरी) क्लिक करें। ‘द ट्रुथ’ (अंक … More “मार्क्सवादी चिंतक” की अभिनव पैंतरेबाजियां और हमारा जवाब [3]

Transformation Of Surplus Value Into Ground Rent And The Question Of MSP: Here Too Our Self-Proclaimed “Marxist Thinker” Looks So Miserable! [3]

What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against Revolutionaries [Third Instalment] Proletarian Reorganizing Committee, CPI (ML) Originally published in ‘The Truth’ (Year 2, Issue 1, May 2021), this article is the third instalment of our reply to a criticism presented in ‘Ahwan’ magazine. The first and second instalments of this reply … More Transformation Of Surplus Value Into Ground Rent And The Question Of MSP: Here Too Our Self-Proclaimed “Marxist Thinker” Looks So Miserable! [3]

कॉर्पोरेट को लाल सलाम कहने की बेताबी में शोर मचाती ‘महान मार्क्सवादी चिंतक’ और ‘पूंजी के अध्येता’ की ‘मार्क्‍सवादी मंडली’ का घोर राजनैतिक पतन [2]

प्रोलेटेरियन रिऑर्गनाइज़िंग कमिटी, सी.पी.आई. (एम.एल.) यह लेख ‘आह्वान’ पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना की दूसरी किश्त है। यथार्थ, अंक 11 में छपी पहली किश्त पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं – “कार्पोरेट के नए हिमायती क्‍या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [1]” आह्वान द्वारा जारी इस आलोचना पर ‘द … More कॉर्पोरेट को लाल सलाम कहने की बेताबी में शोर मचाती ‘महान मार्क्सवादी चिंतक’ और ‘पूंजी के अध्येता’ की ‘मार्क्‍सवादी मंडली’ का घोर राजनैतिक पतन [2]

Apologists Are Just Short Of Saying “Red Salute To Corporates” [2nd Instalment]

What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against Revolutionaries [Second Instalment] Proletarian Reorganizing Committee, CPI (ML) Originally published in ‘The Truth’, Issue 12 (April 2021), this is the second instalment of the reply to a criticism presented in ‘Aahwan’ magazine. The first and second instalment of the criticism can be read … More Apologists Are Just Short Of Saying “Red Salute To Corporates” [2nd Instalment]

कार्पोरेट के नए हिमायती क्‍या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [1]

पी.आर.सी., सी.पी.आई. (एम.एल.) यह लेख ‘आह्वान’ पत्रिका में छपी आलोचना की प्रति आलोचना है, जो मूलतः ‘यथार्थ’ पत्रिका, अंक 11 (मार्च 2021) में प्रकाशित हुई है। आलोचना को पाठक इस लिंक पर जा कर पढ़ सकते हैं। इस लेख की दूसरी किश्त को हिंदी व अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए क्रमशः यहां और यहां क्लिक करें। आह्वान द्वारा जारी इस आलोचना पर ‘द ट्रुथ’ के अंक … More कार्पोरेट के नए हिमायती क्‍या हैं और वे क्रांतिकारियों से किस तरह लड़ते हैं [1]

Farmers’ Movement And The Question Of Rural Woman’s Emancipation

Amita Kumari // India is witnessing an unprecedented farmer’s movement on the borders of its capital. The rural world was never before brought to such close quarters of urban India, and for such a long stretch of time. The movement has not only laid bare the intimacy between State and Capital, it has also unsettled … More Farmers’ Movement And The Question Of Rural Woman’s Emancipation

What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against The Revolutionaries [1]

Proletarian Reorganising Committee, CPI (ML) Originally published in ‘The Truth’, Issue 11 (March 2021), this is the a reply to the criticism presented in ‘Aahwan’ magazine which can be read by clicking here. The second instalment of this reply has been published in ‘The Truth’, Issue 12 (April 2021) which can be read by clicking … More What The New Apologists Of Corporates Are And How They Fight Against The Revolutionaries [1]