बंगाल से हमारी पार्टी के लिए एक और दुखद खबर!
दिवंगत कॉमरेड कृष्णा देवी को लाल सलाम!
अपने दौर में, जब सीपीएम-नीत वामफ्रंट की गुंडावाहिनी का कोयलांचल में आतंक था और संगठन करने का अर्थ बुरी तरह पीटा जाना या जान गंवाने के समतुल्य था (उस दौर में हमारे आधा दर्जन साथी ऐसी ही गुंडवाहिनी के हाथों मारे गए और अंत मे 2009 के 29 दिसम्बर को कामरेड सुनील पाल की हत्या भी इन्हीं के भाड़े के गुंडों के द्वारा हुई), उस दौर में महिलाओं के सशक्त प्रतिरोध की एक अगुआ साथी और हमारी पार्टी की बंगाल राज्य कमिटी के सदस्य कामरेड तितू पासवान (प्यार से जिन्हें सभी ‘मामा’ कहते हैं और जो उम्र के अंतिम पड़ाव में भी पार्टी के साथ हैं और सक्रिय हैं) की जीवन साथी कामरेड कृष्णा देवी जो अभी चंद दिनों पहले तक जोशो-खरोस से पेश आती थीं वो आज हमारे बीच नहीं हैं। उनकी मृत्यु लगभग 63 वर्ष की आयु में लम्बी बीमारी से संघर्ष करते हुए 12 अक्टूबर को हुई।
पार्टी की केंद्रीय कमिटी उनके महान योगदानों को याद करते हुए उन्हें लाल सलाम पेश करती है और उनके शोकसंतप्त परिवारजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती है और इस दुखद क्षण में उनके दुख की सहभागी है।
उनके बारे में सबसे अहम बात यह है वे बीमार होने के बावजूद भी साथियों के खाने-पीने का ख्याल रखा करती थीं। जब भी टीएमसी के दौर में संगठन पर संकट आया है और किन्हीं कारणों से पार्टी को दमन के सामने या अन्य कारणों से पीछे हटने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो वे विचलित हो जाती थीं और गुस्से से कहती थीं कि तब नहीं हटे तो आज क्यों हटें।
संगठन व आन्दोलन खड़ा करने में कॉमरेड कृष्णा की अहम सहयोगी भूमिका को और खासकर प्रतिरोध के इतिहास में उनकी अग्रिम भूमिका को पार्टी ही नहीं हरिपुर से लेकर पूरे कोयलांचल के इलाके की मेहनतकश जनता कभी भूल नहीं सकेगी।
उम्र अधिक होने तथा कई तरह की बिमारियों से ग्रसित होने के कारण उनकी सक्रियता भले ही घटी थी, फिर भी महिला संगठन, यूनियन व पार्टी के प्रति उनका प्यार और जोश अंत-अंत तक पूरी तरह बरकरार था। पुराने समय में कॉ सुनील पाल के नेतृत्व में बंगाल में हुए महिला आन्दोलनों में उनकी भूमिका को लेकर कई बहादुरी से भरे किस्से आज भी सुनने को मिलते हैं और आगे भी मिलेंगे जो हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
आज के दौर में जब पूरे देश मे महिलाओं पर दमन और हिंसा चरम पर है और और पूरे बंगाल में दक्षिणपंथ का एक बड़ा उभार है और दूसरी तरफ मज़दूर आंदोलन में नई पहलकदमी और सुगबुगाहट दिखाई दे रही है, और जब एक बार फिर से बंगाल में महिला संगठन सहित पूरी पार्टी को पहले की तरह ही सशक्त बनाने की बहुत सख्त जरूरत है, ऐसे समय में कमरेड कृष्णा का हमारे बीच से चले जाना एक बड़ी क्षति है जिसकी पूर्ति आसान नहीं होगी।
कामरेड कृष्णा! आप हमारे दिलों में हमेशा बनी रहेंगी। आप अमर हैं! हम सभी मरते दम तक आपके अरमानों को पूरा करने की हर कोशिश करने की कसम खाते हैं। हम हों या न हों, मज़दूर वर्ग की जीत अवश्य होगी!
<p class="has-text-align-right" value="<amp-fit-text layout="fixed-height" min-font-size="6" max-font-size="72" height="80"><strong><em>अजय सिंहा</em></strong><br><em>महासचिव,</em><br>पीआरसी, सीपीआई (एमएल)अजय सिंहामहासचिव,
पीआरसी, सीपीआई (एमएल)
15 अक्टूबर 2020

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