मोदी का 'आत्मनिर्भर' भारत नहीं, मजदूर वर्ग का समाजवादी आत्मनिर्भर भारत 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की, जिसके जरिए कुटीर उद्योग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग, मजदूर, प्रवासी मजदूर, किसान, मध्यम वर्ग और बड़े उद्योगों तक आपदा राहत या फायदा पहुंचाने की बात की गई।... Continue Reading →
आर्थिक संकट के दौर में कोरोना महामारी और मजदूर वर्ग
29 मार्च, रविवार को दुनिया भर में कोरोना से लड़ने की तैयारियों में सबसे असंवेदनशील सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूं और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरूर माफ करेंगे। क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़ें हैं जिसकी वजह से आपको कई... Continue Reading →
बेरोज़गारों की फौज में बेतहाशा वृद्धि, कोरोना महामारी और संकटग्रस्त पूंजीवाद
यह पहला मौका नहीं है जब बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर चारों तरफ शोर बढ़ रहा है। भारत और दुनिया के तमाम देशों में दिनों-दिन बेकारों की फौज अनवरत रूप से बढ़ती ही जा रही है। इन समस्याओं का समाधान महज़ सरकारों और कुछ नीतियों को बदलने मात्र से हो जाएगा, यह भ्रम भी टूट... Continue Reading →
PACKAGE OF 20 LAKH CRORES OF RUPEES: A HOAX AS USUAL AT THE FIRST SIGHT, NOTHING FOR MIGRANT WORKERS EITHER
Modi's yesterday's announcement of a mammoth package of 20-lakh crores of rupees shot a bold headline, yet it seems to be a hoax at the first sight. There is also no address to the woes of the migrant workers either which reasserts a sight of complete apathy. The talk of 'labor' (one of the four... Continue Reading →
CORONA OR CAPITALISM, WHICH IS THE REAL ENEMY?
The first (inaugural) issue of Weekly Commentary of Scientific Socialism is right in front of you. It is quite natural that Covid-19-related articles overwhelm its contents. Though it is a weekly commentary on current issues, yet the question of revolutionary direction is not to be lost sight of, which very much runs through every article... Continue Reading →
रेल निजीकरण : सार्वजनिक संपत्ति की लूट-खसोट
एम. असीम // नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के बढ़ते हमले के अंतर्गत भारत में रेलवे ट्रेनों के परिचालन का बड़े पैमाने पर निजीकरण किया जा रहा है। 1 जुलाई को रेलवे बोर्ड ने 109 मार्गों पर 151 गाड़ियों के परिचालन को निजी हाथों में सौंपने के लिए टेंडर जारी किया है। इसके लिए सितंबर तक निविदायें... Continue Reading →
निजीकरण की ओर तेजी से बढ़ते कदम
ए. प्रिया // कोरोना महामारी की गिरफ्त में पूरी दुनिया त्राहिमाम कर रही है और कुछ भी सामान्य नहीं रह गया है। इस अभूतपूर्व स्थिति के साथ ही, मौजूदा व्यवस्था की कमियां और सड़ांध भी सतह पर आ गई हैं। इतनी उथल-पुथल की स्थिति में बड़े क्रांतिकारी उभार के बीज जरुर छुपे होते हैं, लेकिन साथ ही पूंजीपतियों के लिए भी इतनी अराजकता के बीच अपना मकसद सिद्ध करने के अवसर होते हैं।
TREADING THE DEPLORABLE PATH OF PRIVATISATION: PM LAUNCHES THE AUCTION OF 41 COAL BLOCKS FOR COMMERCIAL MINING
A Priya // Coronavirus pandemic wreaked havoc on the entire mankind and has seriously challenged the status quo. With this unparalleled situation, came to surface the flaws and rot in the current system. Amidst the chaos, it brought with itself great prospects for mass upheavals, but also an opportunity for the capitalists to pedal their... Continue Reading →
भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ता पूंजी संकेंद्रण
एम. असीम // ‘भारत ‘भारत की 20 सर्वाधिक लाभप्रद फ़र्म आज देश के कुल लाभ का 70% उत्पन्न करती हैं, जो 30 साल पहले 14% ही था। भारत में अंतरगुंफित अर्थव्यवस्था (हाइवे, सस्ती उड़ानें, ब्रॉडबैंड, जीएसटी) के उदय ने बड़ी, कुशल फर्मों को श्रेष्ठ तकनीक और अधिक पूंजी के प्रयोग द्वारा छोटे प्रतिद्वंद्वियों को मसल... Continue Reading →
‘आपदा से अवसर’ – नवउदारवादी हमला और तेज
एम. असीम // 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौर में लीमान ब्रदर्स के दिवालिया होने के वक्त बहुत से भलेमानुसों का सोचना था कि अपने इस संकट की वजह से अब नवउदारवाद कदम पीछे हटाने को विवश होगा। मगर तभी ओबामा के चीफ ऑफ स्टाफ और वित्तीय क्षेत्र के पूर्व बड़े प्रबंधक राम इमैनुएल... Continue Reading →