S V Singh // Digital Divide Is Killing Students “Because of me, my family is facing many financial problems. I am a burden on my family. My education is a burden. If I can’t study, I can’t live. Forgive me I am not a good daughter. The scholarship whenever received should be paid to my... Continue Reading →
मज़दूरों को उनकी ‘अपनी’ सरकार ने ही त्याग दिया
[एस. वी. सिंह] “चूँकि मज़दूरों कि मौत का कोई आंकड़ा सरकार के पास मौजूद नहीं है, इसलिए उन्हें मुआवजा देने का सवाल ही पैदा नहीं होता” 14 सितम्बर को संसद में श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार का ये बयान सुन कर देश स्तब्ध रह गया। क्या कोई सरकार इतनी निष्ठुर, इतनी संवेदनहीन हो सकती... Continue Reading →
COVID CRISIS, DISASTROUS GOVERNMENT MEASURES AND A PROLETARIAN APPROACH
M Aseem // It is now more than 4 months since Narendra Modi locked the whole of India down claiming to win the war against Corona Virus in 21 days by ‘Breaking the Chain’ like the victory of good over evil in 18 days of mythical Mahabharat war. Having seen the disaster unfolding in developed... Continue Reading →
कोविड संकट, सर्वनाशी सरकारी प्रबंध और सर्वहारा नजरिया
एम. असीम // 18 दिन में बुराई पर अच्छाई की जीत की मिथकीय महाभारत युद्ध की कहानी की तर्ज पर 21 दिन में कोरोना को परास्त करने के लिए नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश को तालाबंद किए चार महीने से अधिक गुजर चुके। विकसित यूरोपीय देशों में उस वक्त जारी कोरोना के कहर को देखते... Continue Reading →
PLIGHT OF HEALTH WORKERS: WHO WILL SAVE OUR SAVIOURS FROM CAPITALISM?
V Prajapati // A Sorry State Of Affairs Of The Healthcare Workers “Rather than interrogation on a political and institutional level as to why our working conditions remain hazardous, our society is glorifying the struggle! We are being applauded for endangering our lives to help others, but in reality, there is seldom a choice. We’re... Continue Reading →
मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्यायालय नहीं
बयां से परे अपने ही देश में शरणार्थी हुए प्रवासी मजदूरों का दर्द (पहली किश्त) जब ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, महानगरों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव-घर की ओर पैदल चलते चले जाते प्रवासी मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ये सभी पूरी तरह व्यथित, बेबस, परेशान और बदहवास हैं,... Continue Reading →
जिंदा रहना है, तो कोरोना महामारी से उपजे हालात में गैरबराबरी के खिलाफ उठ खड़े हों
निशुल्क स्वास्थ्य सेवा, रोजगार, भोजन व आवास की गारंटी के लिए मुख्य दुश्मन पूंजीवाद को पलटने की लड़ाई तेज करें आज के समय में जब कोरोना महामारी या कोविद-19 समस्त मानव जाति के भविष्य को खतरे में डाल चुका है, पूंजीवाद इसके बावजूद मानव समाज के ही विरुद्ध कदम बढ़ा रहा है और युद्धरत है।... Continue Reading →
‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज : यह आर्थिक पैकेज नहीं, पूंजीवादी संकट के पूरी तरह असाध्य हो जाने का घोषणापत्र है
मोदी का 'आत्मनिर्भर' भारत नहीं, मजदूर वर्ग का समाजवादी आत्मनिर्भर भारत 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की, जिसके जरिए कुटीर उद्योग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग, मजदूर, प्रवासी मजदूर, किसान, मध्यम वर्ग और बड़े उद्योगों तक आपदा राहत या फायदा पहुंचाने की बात की गई।... Continue Reading →
सरकारी योजनाओं और घोषणाओ से परे, जमीनी वास्तविकता की ओर एक नजर
सरकार द्वारा गरीब मजदूरों को राहत पहुंचाए जाने के आंकड़े जो तस्वीर दिखाते हैं, वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग होती है। सरकारी आंकड़ों और जमीनी सच्चाई के अंतर को जानने के लिए कुछ ऐसी जानकारियों और घटनाओं पर नजर डालना ज़रूरी है जो सरकारी घोषणाओं, फर्जी विज्ञापनों से इतर वास्तविक सच्चाई का जीता जागता सबूत पेश... Continue Reading →
आर्थिक संकट के दौर में कोरोना महामारी और मजदूर वर्ग
29 मार्च, रविवार को दुनिया भर में कोरोना से लड़ने की तैयारियों में सबसे असंवेदनशील सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूं और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरूर माफ करेंगे। क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़ें हैं जिसकी वजह से आपको कई... Continue Reading →