ग्रीस में सप्ताह में 6 दिन काम का नया कानून

✒️ रविन्द्र गोयल | ‘सर्वहारा’ #55 (16 जुलाई 2024)

यदि आप सोचते हैं कि मजदूरों को ज्यादा खटाया जाने का बाजा नारायण मूर्ति जैसे पूंजीपति या उनकी दलाल मोदी सरकार ही बजा रही है तो आप शायद गलत फहमी में हैं। यह तो अभी पूरे दुनिया के पूंजीपतियों का प्रिय शगल बन गया है।

एक के बाद एक सभी पूंजीवादी देशों में यह प्रवृत्ति देखी जा रही है। उदाहरण के तौर पर दक्षिण कोरिया में 75 घंटे का कार्य सप्ताह लागू करने की कोशिश की जा रही है। चीन में जैक मा जैसे पूंजीपति बहुत पहले से अपनी कंपनियों में 72 घंटे (996 वाला सूत्र अर्थात सुबह नौ बजे से सायं नौ बजे तक सप्ताह में 6 दिन) कार्य सप्ताह चला रहे हैं। यूरोपीय अमरीकी देशों में भी काम के घंटे बढ़ाकर मजदूरों का शोषण बढ़ाने के ऐसे ही प्रयास जारी हैं।

1 जुलाई से यूरोपियन यूनियन के देश ग्रीस में भी बरसों से चले आ रहे सप्ताह में 5 दिन के काम के कानून को बदल कर सप्ताह में 6 दिन काम के नये कानून को लागू कर दिया है। पूंजीपतियों की दलाल सरकार इस मजदूर विरोधी कदम के लिए नया तर्क ले कर आई है। उसका कहना है कि यह कदम घटती जनसंख्या और कुशल श्रमिकों की कमी के दोहरे खतरों के कारण जरूरी हो गया है।

पाठक जानते ही हैं कि मोदी सरकार श्रम कानूनों में बदलाव सरमायेदारों के धंधे में आसानी के नाम पर कर रही है। नारायणमूर्ति साहब और अनेक पूंजीपति व उनके भाड़े के बुद्धिजीवी विकास के नाम पर सप्ताह में 70 घंटे के काम की पैरवी कर रहे हैं।

ग्रीस सरकार का यह नया तर्क शोषकों को नया औजार दे रहा है जिससे मेहनतकश लोगों को दबाने का काम किया जा सके। लेकिन ग्रीस के मजदूर इसका मुस्तैदी से विरोध कर रहे हैं। हम आशा करते हैं कि मजदूरों के सशक्त प्रतिरोध के आगे धनकुबेरों और उनकी दलाल सरकार के मंसूबे कामयाब न होंगे।

(लेखक सेवानिवृत प्रोफेसर हैं।)


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