क्रांतिकारी वाम समन्वय के साथ आगे बढ़ें!

आम मेहनतकश जनता के विरुद्ध जंग छेड़ चुके कॉर्पोरेट-मोदी शासन के खिलाफ एकताबद्ध हों!

समाजवादी भविष्य के लिए फासिस्टों को उखाड़ फेंकने हेतु एकजुट हों!

दिनांक – 15 अगस्त 2020

साथियों और कॉमरेडों,

            2019 आम चुनाव में मोदी सरकार की पहले से भी बड़े बहुमत के साथ लगातार दूसरी जीत के बाद से हर क्षेत्र में जनता पर फासीवादी हमले और अधिक तीव्र हो चुके हैं। देश की जनता के हर तबके, यानी मजदूर, सरकारी कर्मचारी, छोटे व्यापारी व स्वरोज़गार में शामिल व्यवसायी, मेहनतकश के साथ मध्यम व निम्न-मध्यम श्रेणी के किसान, छात्र, बुद्धिजीवी व शिक्षक, दलित व आदिवासी जनता, चारों तरफ से लगातार बड़े हमलों का शिकार हो रही है ताकि बड़े पूंजीपतियों, कॉर्पोरेट घरानों और इनके साथ विदेशी कंपनियों और साम्राज्यवादियों को आम मेहनतकश जनता के श्रम से पैदा हुई धन-संपदा और प्राकृतिक संसाधनों की लूट-खसोट को पहले से भी अधिक और अभूतपूर्व स्तर पर जारी रखने की खुली छूट मिल सके। यही मोदी राज का असली नारा है। इसी के साथ पहले से ही आसान निशाना बन चुके अल्पसंख्यकों, ख़ास तौर से मुस्लिमों, का इस्तेमाल ‘बहुसंख्यकों’ की आंखों में धूल झोंकने और उनपर हो रहे हमलों और उनकी जीवन-आजीविका के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे से ध्यान भटकाने के लिए भी फासिस्टों द्वारा 2014 से ही बड़े शातिर ढंग से किया जा रहा है।

            उन्होंने अपने इरादे और भी स्पष्ट कर दिए जब उनके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को बिना जम्मू-कश्मीर की जनता की सहमति के और, राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण भंग, जम्मू-कश्मीर विधान सभा के साथ मशविरा तक किए बगैर हटा दिया गया (हालांकि अनुच्छेद 370 को कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने लगातार कमज़ोर करते हुए पहले ही निरस्त कर दिया था जब से शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जनमत-संग्रह को नकार दिया गया, और जम्मू-कश्मीर संविधान सभा को भंग कर दिया गया)। जम्मू-कश्मीर की जनता को अपना भविष्य खुद चुनने के अधिकार से वंचित करने में हम साम्राज्यवादी ताकतों, विशेष रूप से अमेरिकी साम्राज्यवाद और पाकिस्तान, की भूमिका को भी सामने रखते हैं जिन्होंने एक बेहद धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों वाले उदाहरणात्मक स्वतंत्रता संघर्ष को एक इस्लामी रंग से अतिभारित संघर्ष में तब्दील करने का लगातार प्रयास किया है, और जिसे भारतीय शासक वर्गों द्वारा भी प्रसारित किया जाता है क्योंकि यह उनके लिए इस संघर्ष को पृथक कर इसे आसानी से कुचलने में मददगार साबित होता रहा है। इसी फासीवादी हमले के साथ उन्होंने जम्मू-कश्मीर को राज्य की हैसियत से घटाकर दो केंद्र-शासित प्रदेशों में तब्दील करते हुए यह स्पष्ट संदेश दिया कि उनका इरादा हर उस आवाज़ को बेरहमी से कुचलने का है जो अन्याय के विरुद्ध जनतांत्रिक संघर्ष और प्रतिरोध की परंपरा को अख्तियार करती है। इस संघर्ष को अधिकतम सांप्रदायिक रंग देते हुए वे बहुसंख्यकों की आंखों में धूल झोंकने में भी सफल रहे। इरादा बहुसंख्यकों के सामने से यह बात ओझल करने का था, कि जो जम्मू-कश्मीर में हो रहा है वह उनके साथ भी पूरे देश में होगा जब वह अपनी जीवन-आजीविका के लिए संघर्षरत होंगे, जिसके अस्तित्व पर मोदी के कॉर्पोरेट प्रेम के कारणवश लगातार आसन्न खतरा मंडरा रहा है।

            इसके ठीक बाद मोदी-शाह टीम ने देशव्यापी एनआरसी (और एनपीआर) के ज़रिये समस्त जनता, और विशेष रूप से गरीबों, दलितों, आदिवासियों और बेशक, मुस्लिमों, के नागरिकता के अधिकार पर हमला शुरू किया, और इसके पहले, जनता को भ्रमित करने और पहले की तरह ही देश की ‘हिंदू-मूल’ जनता की सोच का सांप्रदायिकरण करने के लिए, धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाला कानून ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019’ पारित करते हुए देश की पहले से ही काफ़ी कमज़ोर और सिकुड़ चुकी जनतांत्रिक नींव पर बड़ा प्रहार किया, और इस प्रकार से फासिस्टों ने राजसत्ता पर अंदर से कब्ज़ा करने के प्रयासों को आगे बढ़ाया। इसके ही जवाब में प्रगतिशील लोगों व आम जनता के बड़े हिस्सों, विशेषतः छात्र व युवा और उनके साथ फिर मजदूर व किसान ने , पूरे खेल को समझते हुए, इन हमलों के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। मुस्लिम अल्पसंख्यक, ख़ास तौर से महिलाएं, और भी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए और अपने भविष्य पर अभी तक के सबसे बड़े हमले के विरुद्ध एक शक्तिशाली प्रतिरोध खड़ा किया। इसी के साथ सभी जातियों व धर्मों और शोषित उत्पीड़ित जनता के सभी हिस्सों और तबकों के साथ पूरे देश की जनता जागरूक थी। पहले से ही बेहद ज़रूरी एकताबद्ध कम्युनिस्ट प्रतिवाद, चुनौती व पहल को तैयार करना और सुदृढ़ बनाना इस परिस्थिति की मांग थी।

            अतः दक्षिणपंथी अवसरवाद व अराजकतावादी भटकावों के खिलाफ खड़े क्रांतिकारी वाम संगठनों को द्विपक्षीय वार्ताओं के माध्यम से एक साथ लाने और एक साझा कार्यक्रम पर आधारित क्रांतिकारी वाम समन्वय का गठन करने की विभिन्न पहल ली गईं, जो फासिस्ट ताकतों के खिलाफ संघर्ष करने एवं उन्हें उखाड़ फेंकने के लिए और पीपल्स डेमोक्रेसी एवं समाजवाद की ओर अग्रसर होने के लिए एक व्यापक फासीवाद-विरोधी मोर्चे के गठन की प्रक्रिया की शुरुआत करे। हालांकि जब वार्ताएं प्रतिनिधि स्तर की एक बैठक बुलाने के चरण पर पहुंच गई थी, तो कोविड-19 महामारी आ पड़ी जिसके बाद मोदी सरकार द्वारा अचानक ही देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई।

            जैसा हम सब जानते हैं, मोदी सरकार अब कोविड-19 महामारी से आए स्वास्थ्य क्षेत्र के इस अभूतपूर्व संकट (जो मुख्यतः सरकार की ही नीतियों और लापरवाही से पैदा हुआ है) का इस्तेमाल जनता का ध्यान इस अभूतपूर्व आर्थिक संकट से भटकाने के लिए कर रही है, जो महामारी के आने के काफ़ी पहले से ही व्याप्त है। इसके परिणामस्वरूप करोड़ों लोगों को जीवन-आजीविका के अभूतपूर्व संकट और बर्बादी का सामना करना पड़ा और पड़ रहा है, और उनके द्वारा अन्याय के खिलाफ संघर्ष और आंदोलन करने के सभी अधिकार छीने जा रहे हैं। इससे छात्र, मजदूर, किसान और आम जनता के जनवादी और प्रगतिशील आंदोलनों, जिसमें सीएए-एनआरसी-एनपीआर आंदोलन शामिल हैं, को बर्बरतापूर्वक कुचला जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ कॉर्पोरेटों को जनता के श्रम और संपदा की लूट की खुली छूट दे दी गई है, और देश को ‘हिंदू राष्ट्र’ (फासीवाद का भारतीय रूप) बना डालने का आरएसएस का एजेंडा तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

            जिस तरीके से मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के कार्य को अपने हाथों में लिया है और जिस तरीके से इसे आरएसएस के ब्रांड वाला ‘दूसरा स्वतंत्रता आंदोलन’ की जीत के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, वह इसी तरफ इशारा करता है। इसके पहले, सरकार द्वारा अचानक से घोषणा कर एक पूरी तरह अनियोजित लॉकडाउन लागू करने से करोड़ों मजदूर, ख़ास तौर से प्रवासी मजदूर, बेरोज़गार, बेघर और निर्धन हो गए, एवं शहरी व देहाती गरीबों के जीवन में संकट छा गया। जबकि लॉकडाउन की घोषणा के दिन 24 मार्च 2020 को देश में कोविड-19 मरीजों और मृतकों की संख्या करीब 500 और 10 थी, वह अब 25 लाख और 50 हज़ार पहुंच चुकी है। लेटेस्ट अध्ययनों के अनुसार, सामुदायिक (कम्युनिटी) संक्रमण के ज़रिए, यह संख्या असल में 10 गुना हो चुकी है और सितम्बर के अंत तक भारत पूरे विश्व में सबसे अधिक कोविड-19 मामलों वाला देश बन सकता है।

            इसी के साथ, जबकि मोदी द्वारा घोषित ₹20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज कॉर्पोरेटों को इंसेंटिव (प्रोत्साहन) प्रदान करने के लिए था, उसके अलावा एक तरफ आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने की बात और भाषणों से लगातार जनता को गुमराह करते हुए, दूसरी तरफ निजीकरण को तीव्र किया जा रहा है और रक्षा उद्योग, ऑर्डनेन्स कारखानों, कोयला खनन, हवाई अड्डों, विद्युत क्षेत्र, और कृषि क्षेत्र आदि को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। पूंजीपक्षीय नीतियों के तहत कॉर्पोरेटों को हर तरह की रियायतें दी जा रही हैं जैसे बैंक लोन को बट्टे खाते में डालने में तेज़ी, उच्च वर्गों के लिए सब्सिडी और टैक्स में कटौती की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ मोदी के 6 साल के शासनकाल और इसके साथ गंभीर मंदी और महामारी-जनित संकट में सभी जन-विरोधी नीतियों का भार मजदूर वर्ग और शोषित जनता की पीठ पर लाद दिया जा रहा है। वास्तव में मोदी सरकार ने मजदूर वर्ग, किसान और शहरी व देहाती गरीबों के विरुद्ध एक जंग छेड़ दी है। चीन और नेपाल के साथ औपनिवेशिक काल से बचे हुए सीमा विवाद को हल करने की पहल लेने के बजाए चीन के साथ सीमा पर हुई झड़प से बनी स्थिति का इस्तेमाल एक तरफ देश में सैन्यीकरण बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, और दूसरी तरफ़ भारत को अमेरिका के नेतृत्व वाले एशिया-प्रशांत धुरी के साथ और गहरे रूप से एकीकृत करने और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के विश्व पर वर्चस्व कायम करने हेतु चीन के साथ उनके अंतर-साम्राज्यवादी अंतर्विरोध में अमेरिका को और मज़बूत बनाने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही जनता अभूतपूर्व बेरोज़गारी और गरीबी के दलदल में लगातार धकेली जा रही है।

            इन्हीं परिस्थितियों में भाकपा (मा-ले) रेड स्टार और भाकपा (मा-ले) पीआरसी ने समन्वय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सभी क्रांतिकारी वाम संगठनों से एक साझा अपील जारी की थी। यह अपील क्रांतिकारी वाम संगठनों को भेजी गई थी जिनसे पहले ही वार्ताएं हुई थीं, एवं कुछ और संगठनों को जिनके साथ प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिए टेलीफोन पर वार्ताएं हुई थीं। इन प्रयासों के ही सिलसिले में, और क्योंकि वर्तमान परिस्थितियां तत्काल साझा गतिविधियों की मांग करती हैं, भाकपा (मा-ले) रेड स्टार, भाकपा (मा-ले) पीआरसी, यूसीसीआरआई (मा-ले) किशन, और ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल, 15 अगस्त 2020 को एक वेबिनार के माध्यम से, एक समाजवादी विकल्प के लिए मोदी राज को उखाड़ फेंकने हेतु सभी संघर्षरत जनता की ताकतों को गोलबंद करने के आह्वान के साथ क्रांतिकारी वाम समन्वय की घोषणा कर रहे हैं।

            हम सभी क्रांतिकारी वाम ताकतों से आह्वान करते हैं और करना जारी रखेंगे कि वह इस प्रक्रिया से जुड़े और इसे और मज़बूत बनाएं। आइये हम एक साथ एक वैकल्पिक साझा कार्यक्रम तैयार करें, वर्तमान शासन यानी अमेरिकी साम्राज्यवाद के जूनियर पार्टनर के राज का अंत करने, और पीपल्स डेमोक्रेसी एवं समाजवाद की ओर अग्रसर होने के लिए।

भाकपा (मा-ले) रेड स्टार

भाकपा (मा-ले) पी.आर.सी.

यू.सी.सी.आर.आई. (मा-ले) किशन

ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल

क्रांतिकारी वाम समन्वय के 15 अगस्त 2020 को हुए वेबिनार का पूरा विडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

To read the statement in English, click here.

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