फासीवाद की नई प्रयोगशाला – यूपी मॉडल

गोर्गी दिमित्रोव ने सही कहा था कि “कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की 13वीं कार्यकारी समिति ने फासीवाद की बिल्कुल सटीक परिभाषा दी है कि फासीवाद वित्तीय पूंजी के सबसे प्रतिक्रियावादी, सबसे अंधराष्ट्रवादी और सबसे साम्राज्यवादी तत्वों की खुली आतंकी तानाशाही को कहते हैं।” लेकिन अगर आम लोगों को फासीवाद समझना हो तो वे पिछले कुछ दिनों में … More फासीवाद की नई प्रयोगशाला – यूपी मॉडल

फासीवाद पर एक बार फिर, उसकी नवीनतम दिशा

शेखर // पांच महीने बीत जाने के बाद भी कोरोना महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है और कोविद-19 संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। लगता है यह लेख जब तक ‘यथार्थ’ के चौथे अंक में पाठकों के सामने आएगा तब तक भारत में संक्रमितों की संख्या 20 लाख के आंकड़ें … More फासीवाद पर एक बार फिर, उसकी नवीनतम दिशा

विरोध की आवाज पर हमले : “उन्होंने हमें दफनाने की कोशिश की, उन्हें नहीं मालूम था हम बीज हैं”

ए. प्रिया // इस नवीन दशक की पूर्वसंध्या से ही दुनिया भर में विरोध की एक बड़ी लहर फैली है। भारत में भी 2019 ने शुल्क वृद्धि और शिक्षा के निजीकरण के विरुद्ध छात्रों के विरोध से शुरू कर अंत में एनआरसी-सीएए-एनपीआर के विरुद्ध विरोध के रूप में हालिया भारतीय इतिहास का व्यापकतम जनआंदोलन भी … More विरोध की आवाज पर हमले : “उन्होंने हमें दफनाने की कोशिश की, उन्हें नहीं मालूम था हम बीज हैं”

फासीवाद का खतरा गहराता जा रहा है : झूठ से इंकार और फिर निगरानी तक, सब कोरोना के नाम पर

ए. तिवारी // द्वितीय विश्व युद्ध उपरांत के दमनकरी कानूनों की वैधता को अस्वीकार करते हुए लार्ड एटकिन[1] ने कहा था – “हथियारों की टकराहट के बीच भी कानून चुप नहीं रह सकते।” उनका यह बयान व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सशक्त सुरक्षा कवच की अनिवार्यता और विदेशियों के भी प्रति न्याय में उनके विश्वास को दर्शाता … More फासीवाद का खतरा गहराता जा रहा है : झूठ से इंकार और फिर निगरानी तक, सब कोरोना के नाम पर