मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्‍यायालय नहीं

बयां से परे अपने ही देश में शरणार्थी हुए प्रवासी मजदूरों का दर्द (पहली किश्‍त) जब ये प‍ंक्तियां लिखी जा रही हैं, महानगरों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव-घर की ओर पैदल चलते चले जाते प्रवासी मजदूरों की संख्‍या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ये सभी पूरी तरह व्‍यथित, बेबस, परेशान और बदहवास हैं, … More मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्‍यायालय नहीं

सरकारी योजनाओं और घोषणाओ से परे, जमीनी वास्तविकता की ओर एक नजर

सरकार द्वारा गरीब मजदूरों को राहत पहुंचाए जाने के आंकड़े जो तस्वीर दिखाते हैं, वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग होती है। सरकारी आंकड़ों और जमीनी सच्चाई के अंतर को जानने के लिए कुछ ऐसी जानकारियों और घटनाओं पर नजर डालना ज़रूरी है जो सरकारी घोषणाओं, फर्जी विज्ञापनों से इतर वास्तविक सच्चाई का जीता जागता सबूत पेश … More सरकारी योजनाओं और घोषणाओ से परे, जमीनी वास्तविकता की ओर एक नजर

लॉकडाउन में फंसे लाखों मजदूरों को मिली घर जाने की इजाजत

लॉक डाउन में भूख और अपमान का सामना करते लाखों प्रवासी मजदूरों को मिली तत्‍काल राहत के अतिरिक्‍त परदे के पीछे के असली खेल पर भी ध्‍यान देना जरूरी है केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन में फंसे मजदूरों को लेकर अब तक दो आदेश निकाले हैं। कल यानी 29 अप्रैल के अपने नये आदेश में … More लॉकडाउन में फंसे लाखों मजदूरों को मिली घर जाने की इजाजत

प्रवासी मजदूरों की असंगठित सेना

एस. वी. सिंह // बुर्जुआजी ने देश में शहरों का शासन स्थापित कर डाला है। इसने शहरी आबादी को ग्रामीण आबादी की तुलना में बहुत अधिक बढ़ा दिया और ऐसा करके उसने ग्रामीण आबादी के काफी बड़े भाग को देहाती जीवन की मूर्खता से बचा लिया।– मार्क्स एंगेल्स, कम्युनिस्ट घोषणा पत्र 24 मार्च का दिन … More प्रवासी मजदूरों की असंगठित सेना