मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्यायालय नहीं
July 24, 2020
बयां से परे अपने ही देश में शरणार्थी हुए प्रवासी मजदूरों का दर्द (पहली किश्त) जब ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, महानगरों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव-घर की ओर पैदल चलते चले जाते प्रवासी मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ये सभी पूरी तरह व्यथित, बेबस, परेशान और बदहवास हैं, … More मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्यायालय नहीं
