वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट : आज गरीबी छुपाये नहीं छुप रही

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #60-61 (1-31 अक्टूबर 2024) वर्ल्ड बैंक ने वैश्विक गरीबी पर विगत 15 अक्टूबर को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2024 में भारत में 12 करोड़ 90 लाख (129 मिलियन) लोगों की दैनिक मजदूरी 181 रुपये (2.15 डॉलर) से भी कम है। अपने आप में यह एक बहुत बड़ी संख्या है। … More वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट : आज गरीबी छुपाये नहीं छुप रही

इफ्टू (सर्वहारा) द्वारा दिल्ली के मायापुरी में न्यूनतम वेतन लागू करने व श्रमिकों के जीवन-जीविका के मुद्दों पर अभियान

‘सर्वहारा’ #59 (16 सितंबर 2024) इफ्टू (सर्वहारा) द्वारा दिल्ली के मायापुरी औद्योगिक क्षेत्र व झुग्गी बस्तियों में न्यूनतम वेतन व सभी श्रम कानून लागू करने, नए लेबर कोड और नए आपराधिक कानून रद्द करने, मालिक-प्रशासन-सरकार के गठजोड़ व अन्याय के खिलाफ जुझारू मजदूर यूनियन खड़ा करने के नारों के साथ प्रचार अभियान चलाया जा रहा … More इफ्टू (सर्वहारा) द्वारा दिल्ली के मायापुरी में न्यूनतम वेतन लागू करने व श्रमिकों के जीवन-जीविका के मुद्दों पर अभियान

वंदे भारत के बाद अब पैसेंजर गाड़ियों के स्थान पर वंदे मेट्रो

एम असीम | ‘सर्वहारा’ #59 (16 सितंबर 2024) श्रमिकों पर मार – रेलयात्रा को कई गुना महंगा बनाने का प्रोजेक्ट 15 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद से भुज के लिए पहली वंदे मेट्रो रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। खबर है कि रेलवे फिलहाल चल रही 3,500 पैसेंजर गाड़ियों को बंद कर … More वंदे भारत के बाद अब पैसेंजर गाड़ियों के स्थान पर वंदे मेट्रो

एनजीओ का व्यवहार और उसकी विचारधारा के समग्र मूल्यांकन का एक प्रयास

विदुषी | ‘सर्वहारा’ #59 (16 सितंबर 2024) [एन.जी.ओ.वाद पर लेखों की श्रृंखला में यह दूसरा लेख है। अंक 58 में छपा पहला लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।] हमने पिछले अंक में एनजीओ के बारे में कुछ परिचयात्मक टिप्पणी की थी। लेकिन आज की बात करें तो पूरे विश्व में एन.जी.ओ. पूंजीवादी सरकारों और … More एनजीओ का व्यवहार और उसकी विचारधारा के समग्र मूल्यांकन का एक प्रयास

मजदूर वर्ग और जाति विनाश

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #59 (16 सितंबर 2024) जाति विनाश और इसके लिए आंदोलन मजदूर वर्ग का एक अहम और अत्‍यंत जरूरी कार्यभार है। मजदूर वर्ग जब तक जाति में बंटा है या बंटा रहेगा और जातिगत भेदभाव में फंसा रहेगा, तब तक उसकी मुक्ति की बात आगे नहीं बढ़ेगी। जातिगत भेदभाव ही क्‍यों, मजदूर वर्ग … More मजदूर वर्ग और जाति विनाश

अपनी असुरक्षा से (पाश की कविता)

अवतार सिंह ‘पाश’ | ‘सर्वहारा’ #58 (1 सितंबर 2024) यदि देश की सुरक्षा यही होती हैकि बिना ज़मीर होना जिंदगी के लिए शर्त बन जाएआंख की पुतली में ‘हां’ के सिवाय कोई भी शब्दअश्लील होऔर मन बदकार पलों के सामने दंडवत झुका रहेतो हमें देश की सुरक्षा से खतरा है हम तो देश को समझे … More अपनी असुरक्षा से (पाश की कविता)

ट्रेनों में बढ़ती भीड़ के बीच नारकीय और जानलेवा परिस्थितियों में सफर करने को मजबूर मजदूर-मेहनतकश जनता

शंकर कुमार | ‘सर्वहारा’ #58 (1 सितंबर 2024) पिछले दिनों बॉम्बे हाई कोर्ट में दिए गए सेंट्रल और पश्चिमी रेलवे द्वारा ट्रेन से गिर कर या ट्रैक पर मरने वाले यात्रियों के आंकड़े चौकाने वाले हैं। दी गयी जानकारी के मुताबिक पिछले 20 सालों में केवल मुंबई लोकल ट्रेनों में 51,000 से ज्यादा लोग मारे … More ट्रेनों में बढ़ती भीड़ के बीच नारकीय और जानलेवा परिस्थितियों में सफर करने को मजबूर मजदूर-मेहनतकश जनता

धर्म जाति इलाके भाषा के आधार पर आपसी नफरत मजदूर आंदोलन के लिए जहर है

एम असीम | ‘सर्वहारा’ #58 (1 सितंबर 2024) श्रमिकों में परस्पर नफरत का जहर फैलाने वालों को बेनकाब कर ही मजदूर अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो लड़ सकते हैं। 27 अगस्त को हरियाणा के चरखी दादरी में पश्चिम बंगाल के रहने वाले एक प्रवासी मजदूर साबिर मलिक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। … More धर्म जाति इलाके भाषा के आधार पर आपसी नफरत मजदूर आंदोलन के लिए जहर है

एनजीओ नहीं क्रांति का रास्ता चुनें

विदुषी | ‘सर्वहारा’ #58 (1 सितंबर 2024) आज दुनिया के हर कोने में मानव सभ्यता का अस्तित्व गंभीर खतरे में है। यूक्रेन और मध्य-पूरब एशिया में चल रही साम्राज्यवादी जंग से इसकी विनाशलीला झांक रही है, तो दूसरी तरफ इसे फासीवादी तानाशाही, जो अपने आप में जनता पर लादा गया एक बर्बर युद्ध ही है, … More एनजीओ नहीं क्रांति का रास्ता चुनें

उच्च विकास दर के साथ उच्च बेरोजगारी दर

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #58 (1 सितंबर 2024) विकास दर में वृद्धि से रोजगार और आम जनता के विकास का बचा-खुचा रिश्ता भी अब खत्म हो गया है। एशिया के सबसे तेज विकास दर वाले देश – खासकर चीन, बांग्लादेश और भारत – उच्च युवा बेरोजगारी दर से पीड़ित हैं। इन दिनों भारत सबसे उच्च दर … More उच्च विकास दर के साथ उच्च बेरोजगारी दर