दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति

✒️ अंशु कुमारी | ‘सर्वहारा’ #57 (16 अगस्त 2024) मेरा नाम अंशु है। मैं एक सरकारी स्कूल में दसवीं की छात्रा हूं और इस लेख के माध्यम से अपने स्कूल में व्याप्त कुछ गंभीर समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं। ये समस्याएं न केवल मेरे और मेरे साथियों की पढ़ाई पर असर डाल … More दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति

महंगाई से त्रस्त मजदूरों की स्थिति बयान करता एक खत

✒️ राजीव कुमार | ‘सर्वहारा’ #57 (16 अगस्त 2024) (लेखक पटना के निर्माण क्षेत्र में दिहाड़ी मजदूर का काम करते हैं) आज देश में महंगाई सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। मैं 2020 में जम्मू-कश्मीर गया था काम करने। उस समय महंगाई आज की तुलना में कम थी। मात्र 450 रुपये दिहाड़ी मिलती थी वहां। … More महंगाई से त्रस्त मजदूरों की स्थिति बयान करता एक खत

‘कानून का राज’ समाप्त, नए आपराधिक कानून से अब पुलिस राज की शुरुआत

✒️ सिद्धांत | ‘सर्वहारा’ #56 (1 अगस्त 2024) मोदी सरकार देश के 3 क्रिमिनल कानूनों (IPC, CrPC, साक्ष्य कानून) को हटा कर 3 नए कानून ले आई है, जो 1 जुलाई से लागू भी हो गए हैं। इन कानूनों में पुलिस को हद से ज्यादा ताकत दे दी गई है और जनता के अधिकारों को … More ‘कानून का राज’ समाप्त, नए आपराधिक कानून से अब पुलिस राज की शुरुआत

बजट 2024: मेहनतकशों व मध्य वर्ग की लूट से पूंजीपतियों की तिजोरी भरने की योजना

✒️ एम. असीम | ‘सर्वहारा’ #56 (1 अगस्त 2024) रोजगार सृजन के नाम पर पूंजीपतियों को लाभ एवं बेरोजगारों से क्रूर मजाक नरेंद्र मोदी सरकार ने 23 जुलाई को अपने तीसरे कार्यकाल का पहला सालाना बजट पेश किया और पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि उसकी जनविरोधी नीतियों की वजह से आम जनता में जो … More बजट 2024: मेहनतकशों व मध्य वर्ग की लूट से पूंजीपतियों की तिजोरी भरने की योजना

गैरबराबरी की खाई और फुंफकारता फासीवाद – एक सिक्के के दो पहलू

✒️ संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #56 (1 अगस्त 2024) अश्लील स्तर पर जा पहुंची आर्थिक गैर-बराबरी की खाई और पूरी दुनिया में अपने पांव पसारता व फुंफकारता फासीवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ऑक्सफैम ने 25 जुलाई 2024 के अपने प्रेस वक्तव्य में कहा है कि “दुनिया के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों ने … More गैरबराबरी की खाई और फुंफकारता फासीवाद – एक सिक्के के दो पहलू

बांग्लादेश में भीषण बेरोजगारी झेल रहे युवाओं का फूटा गुस्सा

✒️ आकांक्षा | ‘सर्वहारा’ #56 (1 अगस्त 2024) आंदोलन की फौरी वजह बना मुक्ति संग्राम सेनानियों का आरक्षण; अंतर्य में है विकराल होती बेरोजगारी बांग्लादेश में पिछले कई हफ्तों से छात्रों-युवाओं द्वारा सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई छेड़ी जा चुकी है। इस संघर्ष का फौरी कारण बना बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के सेनानियों को दिया … More बांग्लादेश में भीषण बेरोजगारी झेल रहे युवाओं का फूटा गुस्सा

डर (कविता)

✒️ हूबनाथ | ‘सर्वहारा’ #55 (16 जुलाई 2024) डर डराता ही नहीं सिखाता भी है कि डर के माहौल में कितना महत्वपूर्ण होता है धीरज कैसे बंधी रहती है हिम्मत यकीन में पड़ी दरारें कैसे मिटाई जाती हैं डर कसौटी है आस्था की विश्वास की मानवता की डर के माहौल में भी बची रही जिसकी … More डर (कविता)

बंदर (कविता)

✒️ अशोक कुमार | ‘सर्वहारा’ #55 (16 जुलाई 2024) सच ही कहा था डार्विन ने पहले आदमी बंदर था फिर आदमी हुआ विकास की इस दौड़ में जो पिछड़ गए वो बंदर ही रह गए बंदर से जो आदमी हो गए थे लगता है उनमें से कुछ फिर से बंदर होने की उल्टी यात्रा पर … More बंदर (कविता)

ग्रीस में सप्ताह में 6 दिन काम का नया कानून

✒️ रविन्द्र गोयल | ‘सर्वहारा’ #55 (16 जुलाई 2024) यदि आप सोचते हैं कि मजदूरों को ज्यादा खटाया जाने का बाजा नारायण मूर्ति जैसे पूंजीपति या उनकी दलाल मोदी सरकार ही बजा रही है तो आप शायद गलत फहमी में हैं। यह तो अभी पूरे दुनिया के पूंजीपतियों का प्रिय शगल बन गया है। एक … More ग्रीस में सप्ताह में 6 दिन काम का नया कानून

“हमारा जीवन कैसे चलेगा यह भी मालिक तय करते हैं”

पटना के एक निर्माण मजदूर से साक्षात्कार पर आधारित ✒️ ‘सर्वहारा’ #55 (16 जुलाई 2024) मेरा नाम किशोरी महतो है और मैं बख्तियारपुर का रहने वाला हूं। मैं राजमिस्त्री का काम करता हूं। मेरे घर में मेरी पत्नी, बूढ़ी मां और दो छोटे बच्चे हैं। घर में कमाने वाला मैं अकेला व्यक्ति हूं। पिछले महीने … More “हमारा जीवन कैसे चलेगा यह भी मालिक तय करते हैं”