श्रमिक अधिकारों पर हमले व निजीकरण के खिलाफ श्रमिकों की वर्गीय एकता ही एकमात्र रास्ता है!

संपादकीय | 16 दिसंबर 2024‘सर्वहारा’ #66 | रेलवे विशेषांक [Click here to read in English] लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) के केंद्रीय सम्मेलन के अवसर पर रेल कर्मियों सहित पूरे मजदूर वर्ग से अपील श्रमिक अधिकारों पर हमले व निजीकरण के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हेतु श्रमिकों की वर्गीय एकता ही एकमात्र रास्ता है! कैटेगरी, इंडस्ट्री … More श्रमिक अधिकारों पर हमले व निजीकरण के खिलाफ श्रमिकों की वर्गीय एकता ही एकमात्र रास्ता है!

देश और दुनिया में आर्थिक विकास दर में आई कमी और इसके निहितार्थ

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #64-65 (1 दिसंबर 2024) विश्व आर्थिक फोरम (World Economic Forum) ने इस साल के 10 सितंबर को प्रकाशित अपने साप्ताहिक आर्थिक एवं वित्तीय सर्वे में कहा है कि 2024 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर में पिछले साल की तुलना में “और अधिक” गिरावट आएगी। रायटर सर्वे भविष्यवाणी (Reuter’s Poll Forecast) ने अगले … More देश और दुनिया में आर्थिक विकास दर में आई कमी और इसके निहितार्थ

मिड डे मील – भूखे कुपोषित बच्चे, बेरहम सरकार और मुनाफाखोर पूंजीपतियों की लूट

मुकेश असीम | ‘सर्वहारा’ #64-65 (1 दिसंबर 2024) अखबार बता रहा था, देखो, सरकार कितनी गरीबपरवर, रहमदिल व कल्याणकारी है। उसकी खबर की मोटी हेडलाइन बता रही थी कि सरकार ने स्कूली बच्चों के मिड डे मील का बजट बढ़ा दिया है। लेकिन कोई खुशी की अधिकता से पागल न हो जाए इस वास्ते नीचे … More मिड डे मील – भूखे कुपोषित बच्चे, बेरहम सरकार और मुनाफाखोर पूंजीपतियों की लूट

2024 में फासीवादी तानाशाही के खिलाफ संघर्ष और 2011 के मिस्र में तानाशाही विरोधी आंदोलन से मजदूर वर्ग के लिए निकले कुछ अहम सबक

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #63 (1 नवंबर 2024) संपादकीय का शीर्षक बेतुका लग सकता है। लेकिन तानाशाही के खिलाफ लड़ाई में किस तरह मजदूर वर्ग और विपक्षी पूंजीवादी शासक वर्ग एक बिंदु पर एक साथ होते हुए भी एक साथ नहीं होते हैं इसे समझने के लिए 2011 में मिस्र के तानाशाह होस्नी मुबारक के खिलाफ … More 2024 में फासीवादी तानाशाही के खिलाफ संघर्ष और 2011 के मिस्र में तानाशाही विरोधी आंदोलन से मजदूर वर्ग के लिए निकले कुछ अहम सबक

पटना मेट्रो व अन्य निर्माण कार्यों में असुरक्षा के कारण हो रही मजदूरों की मौत दुर्घटना नहीं, हत्या है!

निर्माण मजदूर संघर्ष यूनियन | ‘सर्वहारा’ #63 (1 नवंबर 2024) पटना में ठेकेदारों व ठेकेदार कंपनियों द्वारा सुरक्षा में बरती जा रही लापरवाही से होने वाले भयानक हादसों पर एक संक्षिप्‍त टिप्‍पणी।  मालिक-ठेकेदारों-कंपनी के मुनाफे के लिए हो रही इन हत्याओं के खिलाफ उठ खड़े हों! सबको पता होगा कि पटना में चल रहे मेट्रो … More पटना मेट्रो व अन्य निर्माण कार्यों में असुरक्षा के कारण हो रही मजदूरों की मौत दुर्घटना नहीं, हत्या है!

अक्टूबर क्रांति का सदेंश – “जो काम नहीं करेगा, वह खाएगा भी नहीं”

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #62(25 अक्टूबर 2024 | अक्टूबर क्रांति विशेषांक) आज से 107 वर्ष पूर्व, 25 अक्टूबर 1917 के दिन रूस में मजदूर वर्ग ने बोल्शेविकों के नेतृत्व में पूंजीपति वर्ग का तख्ता पलट दिया था जिसे अक्टूबर क्रांति कहा जाता है। इस क्रांति में विजयी मजदूर वर्ग ने पूंजीवादी राज्य की जगह अपना नया … More अक्टूबर क्रांति का सदेंश – “जो काम नहीं करेगा, वह खाएगा भी नहीं”

जीएसटी : मजदूरों के खिलाफ सत्ताधारी व विपक्षी बुर्जुआ दलों की एकता

मुकेश असीम | ‘सर्वहारा’ #60-61 (1-31 अक्टूबर 2024) भारत की मौजूदा व्यवस्था अर्थात पूंजीवादी जनतंत्र में विभिन्न चुनावी दलों के बीच सत्ता में आने के लिए परस्पर होड़ चलती रहती है और जनता को अपने पक्ष में लाने के लिए वे एक दूसरे के खिलाफ बहुत कुछ बयानबाजी भी करते हैं। कई बयान आम जनता … More जीएसटी : मजदूरों के खिलाफ सत्ताधारी व विपक्षी बुर्जुआ दलों की एकता

वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट : आज गरीबी छुपाये नहीं छुप रही

संपादकीय | ‘सर्वहारा’ #60-61 (1-31 अक्टूबर 2024) वर्ल्ड बैंक ने वैश्विक गरीबी पर विगत 15 अक्टूबर को जारी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2024 में भारत में 12 करोड़ 90 लाख (129 मिलियन) लोगों की दैनिक मजदूरी 181 रुपये (2.15 डॉलर) से भी कम है। अपने आप में यह एक बहुत बड़ी संख्या है। … More वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट : आज गरीबी छुपाये नहीं छुप रही

वंदे भारत के बाद अब पैसेंजर गाड़ियों के स्थान पर वंदे मेट्रो

एम असीम | ‘सर्वहारा’ #59 (16 सितंबर 2024) श्रमिकों पर मार – रेलयात्रा को कई गुना महंगा बनाने का प्रोजेक्ट 15 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद से भुज के लिए पहली वंदे मेट्रो रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। खबर है कि रेलवे फिलहाल चल रही 3,500 पैसेंजर गाड़ियों को बंद कर … More वंदे भारत के बाद अब पैसेंजर गाड़ियों के स्थान पर वंदे मेट्रो

एनजीओ का व्यवहार और उसकी विचारधारा के समग्र मूल्यांकन का एक प्रयास

विदुषी | ‘सर्वहारा’ #59 (16 सितंबर 2024) [एन.जी.ओ.वाद पर लेखों की श्रृंखला में यह दूसरा लेख है। अंक 58 में छपा पहला लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।] हमने पिछले अंक में एनजीओ के बारे में कुछ परिचयात्मक टिप्पणी की थी। लेकिन आज की बात करें तो पूरे विश्व में एन.जी.ओ. पूंजीवादी सरकारों और … More एनजीओ का व्यवहार और उसकी विचारधारा के समग्र मूल्यांकन का एक प्रयास