शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के 94वें शहादत दिवस पर हरिपुर, पश्चिम बर्धमान (बंगाल) में आईएफटीयू (सर्वहारा) केंद्रीय कार्यालय के समक्ष श्रधांजलि एवं पथ सभा सम्पन्न हुई। पटना में भी मलाही पकड़ी चौक पर शाम 6 बजे से खुली सभा आयोजित कि गई जिसमें निर्माण मजदूर संघर्ष यूनियन के अलग-अलग इलाके के कमेटी से 70-80 मजदूर शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के बलिया में भी शहीद ए आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के 94वें शहादत दिवस पर आईएफटीयू (सर्वहारा) और सर्वहारा जनमोर्चा द्वारा शहीद पार्क, गोपालपुर में एक श्रधांजलि व संकल्प सभा संपन्न हुई और सावरा में भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों और आज के कार्यभार पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। दिल्ली में भी मायापुरी औद्योगिक क्षेत्र में आईएफटीयू (सर्वहारा) के यूनियन कार्यालय में शाम 7 बजे से मजदूर बैठकी का आयोजन हुआ। बैठक की शुरुआत शहीदों की याद में एक मिनट के मौन से हुई।




सभी राज्यों में हुई सभाओं व बैठकों में भगत सिंह के जीवन, उनके क्रांतिकारी विचारों, उनके लिए आजादी का क्या तात्पर्य था व उनके सपनों का भारत कैसा था, और एक तरफ कांग्रेस व दूसरी तरफ दलाल संघियों (जो आज देशभक्ति सिखाते हैं) से आजादी आंदोलन पर उनके (एक समाजवादी भारत के) विचार कैसे बिल्कुल भिन्न और क्रांतिकारी थे, इन सब विषयों पर गंभीर चर्चा हुई। यह भी रेखांकित किया गया कि आज का दौर भगत सिंह के समय के दौर से भी ज्यादा अंधेरे में है जहां 1% अमीर लोगों के पास देश की 40% संपत्ति है। भगत सिंह ने असेंबली में बम ट्रेड डिस्प्यूट बिल के विरोध में फेंका था, और आज मोदी सरकार उससे भी खतरनाक कानून लेबर कोड पारित कर चुकी है। मारुति, होंडा जैसे मजदूर आंदोलन हमें बताते हैं कि तथाकथित राष्ट्रवादी भाजपा सरकार का असली एजेंडा देशी विदेशी पूंजीपतियों के मुनाफे को बढ़ाना और इसके लिए देश के मजदूरों का शोषण करना है इसलिए मजदूरों को अपने वर्गीय मित्रों (दुनियाभर के मजदूर) और दुश्मनों (पूंजीवाद साम्राज्यवाद) की पहचान करते हुए उनके ही शोषण पर टिकी पूंजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकने के निर्णायक संघर्ष के लिए कमर कसना होगा।
भगत सिंह के कुछ जरूरी लेखों का अंश भी बैठकों में पढ़ा गया नामतः – सांप्रदायिक दंगे और उनका इलाज, अछूत समस्या, गवर्नर को आखिरी याचिका, तथा क्रांतिकारी कार्यक्रम का मसविदा। क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश के भी शहादत दिवस के अवसर पर भगत सिंह पर उनकी कविता को भी पढ़ा गया। नारों और शहीद गीत के साथ बैठकी का समापन किया गया।



