शहीद कॉमरेड सुनील पाल की १५वीं शहादत वर्षगांठ पर जारी पर्चा : पीआरसी | इफ्टू (सर्वहारा)

अमर शहीद कॉमरेड सुनील पाल की 15वीं शहादत वर्षगांठ के अवसर पर
29 दिसंबर 2024 को दोपहर 2 बजे से हरिपुर (प. बंगाल) में आयोजित

तथा 30 दिसंबर को सुबह 10 से 5 बजे शाम तक आसनसोल बार एसोसिएशन हॉल में
निम्नलिखित विषय पर आयोजित सम्‍मेलन में भाग लें

साथियो! 
जैसा कि विदित है, आगामी 29 दिसंबर 2024 को मजदूर नेता कॉमरेड सुनील पाल के शहादत की 15वीं वर्षगांठ है। इस अवसर पर हमारी पार्टी 29 दिसंबर कोप. बंगाल में उनके शहादत स्थल हरिपुर में शहीद रैली और वहां स्‍थि‍त स्‍कूल ग्राउंड में सभा;तथा अगले दिन, यानी 30 दिसंबर को आसनसोल शहर के बार एसोसिएशन हॉल में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ”फासीवादी दौर में महिलाओं पर बढ़ता उत्पीड़न और नारी मुक्ति का सवाल” विषय पर सम्‍मेलन करने जा रही है। हम इस इलाके के तमाम मजदूरों व आम जनता को इसमें शामिल होने व इसे सफल बनाने का आह्वान करते हैं। साथ ही साथ, हम पूरे देश, बंगाल तथा इस इलाके के तमाम क्रांतिकारी, जनवादी एवं प्रगतिशील संगठनों, नारी व युवा संगठनों, मानवाधिकार संगठनों, बुद्धिजीवियों व व्‍यक्तियों को भी इन दोनों कार्यक्रमों में शामिल होने की अपील करते हैं।

बंगाल में आर जी कर मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्‍टर के साथ हुए हैवानियतपूर्ण बलात्‍कार एवं हत्‍या के खिलाफ पिछले कई महीनों से नारी उत्पीड़न के सवालों को लेकर बंगाल की जनता का एक बड़ा तबका आंदोलनरत रहा है। हम ऐसे तमाम आंदोलनों के प्रतिबद्ध एवं प्रबुद्ध प्रतिनिधियों से भी, खासकर 30 दिसंबर के सम्‍मेलन में, भाग लेने और इसके उपरांत स्‍त्री मुक्ति के सवाल पर एकजुट हो गंभीरतापूर्ण विचार-मंथन करने की अपील करते हैं, ताकि गहराई से यह समझा जा सके कि फासीवाद के दौर में महिलाओं पर बढ़ते अत्‍याचार व उत्‍पीड़न का प्रमुख कारण और इसका निदान क्‍या है। हम इसके लिए जनवादी-प्रगतिशील स्‍त्री संगठनों से विशेष अपील करते हैं।

जहां तक इस मौके पर शहीद कॉ. सुनील पाल के बारे में कुछ कहने की बात है, तो संक्षेप में हम यही कह सकते हैं कि कॉ. सुनील पाल जैसा अविचल, निडर, अदम्‍य और आजीवन पेशेवर क्रांतिकारी कभी-कभी ही पैदा होता है। इस औद्योगिक क्षेत्र, खासकर ईसीएल की हर छोटी-बड़ी लड़ाई पर उनके लड़ाकू व क्रांतिकारी व्‍यक्तित्‍व की छाप थी। धीरे-धीरे इसकी अनुगूंज पूरे बंगाल में होने लगी थी। यह दुहराने की जरूरत नहीं है कि कॉ. सुनील पाल जैसे लोकप्रिय एवं क्रांतिकारी मजदूर नेता की हत्‍या वामफ्रंट सरकार के इशारे पर किस तरह से और क्‍यों की गई। यह कोई संयोग की बात नहीं थी कि उनकी हत्‍या के दो सालों बाद ही वामफ्रंट सरकार खत्‍म हो गई। 2011 के चुनाव में वामफ्रंट हार गया और तृणमूल कांग्रेस सरकार बनी। 34 वर्षीय वामफ्रंट सरकार, जो वाम भाव-भंगिमा के साथ पूंजी के बेहतर प्रबंधन की कर्ता-धर्ता की भूमिका निभाती थी, जनता के बीच इतनी अलोकप्रिय हो चुकी थी कि उसका जाना तय था। जाहिर है, अगर सुनील पाल की हत्‍या के द्वारा उसकी मंशा हमारी पार्टी के अस्तित्‍व को मिटा देने की थी, तो हम आज कह सकते हैं कि वह पूरी नहीं हुई है।

आज जब हम पीछे मुड़ कर देखते हैं, तो हम यह कह सकते हैं कि कॉ. सुनील पाल की हत्‍या के तुरंत बाद ही यह दिखाई देने लगा था कि देश प्रतिक्रियावाद की तरफ करवट ले रहा है और देश की पूंजीवादी शासन प्रणाली में निर्णायक तौर पर एक घोर गैर-जनतांत्रिक शिफ्ट हो रहा था। दरअसल 21वीं सदी के दूसरे दशक में देश का बड़ा पूंजीपति वर्ग ‘जनतंत्र’ रूपी खोल को बनाये रखते हुए ही फासीवादी तानाशाही की ओर मुड़ने का फैसला ले रहा था। जाहिर है, इस दौर में बड़ी पूंजी के हित-साधन के लिए वामफ्रंट सरकार जैसी संशोधनवादी सरकारों की उपयोगिता व उपादेयता खत्म हो चुकी थी। इस तरह वामफ्रंट सरकार जहां बड़ी पूंजी के लिए अनुपयोगी हो चुकी थी, वहीं वह आम जनता की नजर में भी गिर चुकी थी। फासीवाद के लिए ऐसा दौर काफी उर्वर होता है। इसलिए हम पाते हैं कि तृणमूल सरकार ही नहीं आई, इसके पीछे-पीछे या कहें इसकी पीठ पर सवार हो भाजपा भी बंगाल में आ गई। आज वह दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। यानी, बंगाल की जनता के सर पर फासीवाद का खतरा मंडरा ही नहीं रहा है, सर चढ़कर बोल रहा है।

लोगों के बीच यह धारणा भी है कि तृणमूल के बाद उसी का नंबर है। हो भी क्‍यों नहीं? तृणमूल भी तो भाजपा की पिच पर ही प्रतिस्‍पर्धा कर रही है। एक तरफ, मजदूरों को हड़ताल व आंदोलन करने पर रोक है, तो दूसरी तरफ पूरे बंगाल में तरह-तरह के धार्मिक आयोजनों की प्रतियोगिता चल पड़ी है। ये दोनों चीजें भाजपा का रास्‍ता ही तो साफ कर रही हैं। वामफ्रंट की गद्दारी के अलावा और उसके बाद यह भी एक बड़ा कारण है कि दिनों-दिन भाजपा के लिए रास्‍ता ज्‍यादा से ज्‍यादा साफ होता जा रहा है। आज ममता बनर्जी बड़े पूंजीपतियों को खुश करके पूरी ताकत से भाजपा को रोकने में लगी हैं। लेकिन उन्‍हें शायद नहीं पता है कि अगर एक बार केंद्र में भाजपा सत्‍ता में आ गई है, तो अब उसे जनता का आंदोलन ही उखाड़ सकता है। लेकिन वो तो जनता के जनवादी अधिकारों को कुचलने में और इस तरह अपने पूंजीपति आकाओं को खुश करने, तथा राज्‍य मशीनरी द्वारा दमन के जरिए फासीवादी ताकतों का रास्‍ता रोकने में विश्‍वास रखती हैं। इससे अंतत: भाजपा को रोकना असंभव होगा। यह नियम है कि जनता के जनवादी अधिकारों पर किये जा रहे हर हमले से फासीवादी ताकतें मजबूत होती हैं। इसलिए जनता के आंदोलनों के साथ तृणमूल का दमनात्‍मक रवैया अपने आप में एक बहुत बड़ा खतरा है जिसके प्रति बंगाल की जनता, जो फासीवाद की देशव्‍यापी जीत को रोकना चाहती है, को आगाह करना हमारी पार्टी अपना क्रांतिकारी कर्तव्य मानती है।

साथियो!
कुल मिलाकर बंगाल की राजनीतिक स्थिति आज अत्‍यंत ही नाजुक बनी हुई है। कहा जाता है कि तृणमूल ने वामफ्रंट सरकार को ही नहीं, लाल झंडे को, वो भी हर तरह के लाल झंडे को, बंगाल से हमेशा के लिए दूर कर दिया है। लेकिन यह सही नहीं है। जनविरोधी वामफ्रंट सरकार का खामियाजा क्रांतिकारी वाम आंदोलन को उठाना पड़ा है और आज भी पड़ रहा है, यह सही है, लेकिन यह कहना कि लाल झंडा हमेशा के लिए बंगाल से दूर हो गया है, अतिश्‍योक्तिपूर्ण है। जहां अन्‍याय है, वहां लाल झंडा अवश्‍य होगा। देर-सवेर हो सकता है, लेकिन लाल झंडा ही बंगाल का भविष्‍य है, क्‍योंकि जनता देख रही है कि वामफ्रंट सरकार के अत्‍याचार के खि‍लाफ वास्तविक जमीनी लड़ाई लड़ने वाले शहीद कॉ. सुनील पाल जैसे क्रांतिकारियों की मंशा क्‍या थी और आज क्‍या हो रहा है।

इसलिए अंत में, हमारी पार्टी पीआरसी सीपीआई (एमएल) इस मौके पर, बंगाल की क्रांतिकारी तथा जनवादी व न्‍यायप्रि‍य अवाम से, जिसका आगामी दिनों में फासीवाद से प्रत्यक्ष सामना होना तय है, यह अपील व आह्वान करना चाहती है कि वह एक बार फिर से एक नये वसंतनाद के लिए तैयार रहे। और कोई रास्‍ता भी नहीं है। आम जनता, मजदूर और छात्र-नौजवान-किसान-महिलाएं मात्र नहीं, पूरी मानवता का दुश्‍मन फासीवाद का खतरा सर पर मंडरा रहा है। इसलिए वह दिन दूर नहीं है जब क्रांतिकारियों के खून से सिंचित बंगाल की पावन संग्रामी भूमि एक बार फिर से जनता के हितों के लिए मर मिटने वाले अपने सच्‍चे वीर सपूतों से लहलहाएगी और क्रांतिकारी विरासत का दामन थामे बंगाल की व्‍यापक जनता पूरे देश की आवाम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फासीवाद की जीत को रोकने में अपना अमूल्‍य योगदान देगी

क्रांतिकारी अभिनंदन के साथ

  • पीआरसी, सीपीआई (एमएल)
  • आईएफटीयू (सर्वहारा)

आईएफटीयू (सर्वहारा) महासचिव कॉमरेड कन्‍हाई बर्णवाल द्वारा IFTU(S) केंद्रीय कार्यालयहरिपुर, प. र्धमान, प. बंगाल से संयुक्‍त रूप से जारी। (01.12.2024)


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