‘सर्वहारा’ #62 (25 अक्टूबर 2024) | अक्टूबर क्रांति विशेषांक
पटना के मुन्ना चक लेबर चौक से काम करने वाले मजदूर मनोज मंडल (ग्राम – निर्झरी, जिला – बांका) की 20 अक्टूबर को करंट लगने से अस्पताल में, जहां वे इलाज हेतु दो सप्ताह से भर्ती थे, मृत्यु हो गयी। विगत 9 अक्टूबर को ही वे भूतनाथ रोड स्थित निर्माणाधीन बिल्डिंग में काम करते हुए बिल्डिंग के लगभग सटे 33000 वोल्ट के तार की चपेट में आ गए थे। तब से लेकर आज तक ‘निर्माण मजदूर संघर्ष यूनियन’ और खासकर इसकी मुन्ना चक कमिटी के साथीगण इनके लिए संघर्षरत रहे हैं, पहले इलाज का खर्च मालिक-ठेकेदार उठाये (लगभग ढाई लाख) इसके लिए और जब कल उनकी मृत्यु हो गई तो फिर अस्पताल में बाकी बकाये खर्च को चुकाने एवं मुआवजे (कुल ढाई लाख) के लिए देर रात तक सफल और विजयी लड़ाई लड़ने तक पूरी मुस्तैदी से उनके साथ खड़े रहे और मुआवजे की पूरी राशि यूनियन के साथियों के सामने ही मृत मजदूर की पत्नी के हाथ में दी गयी।




यहां संक्षिप्त में यह भी दर्ज करना जरूरी है कि रात सवा नौ बजे एक अन्य यूनियन ‘बिहार निर्माण व असंगठित श्रमिक यूनियन’ को भी इस लड़ाई में शामिल होने के लिए सूचित किया गया। ये हर्ष की बात है कि उनके एक नेतृत्वकारी साथी व कुछ अन्य साथी रात को लगभग साढ़े दस बजे अस्पताल में आये और रात में लगभग साढ़े बारह बजे तक साथ में बने रहे। साथ ही वे सवेरे भी पुनः फोन करने पर, जो पूर्व निर्धारित था, वे अस्पताल पहुंच कर डिस्चार्ज प्रक्रिया में तथा मुन्नाचक चौक पर हुई मजदूर सभा में भी हमारे साथ शामिल रहे। लड़ाई में उनके रहने से हमारा हौसला बढ़ा इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन उन्हें शामिल करने का हमारा मुख्य उद्देश्य संयुक्त मजदूर आंदोलन की भावना को मजबूत करना और इसके लिए आपसी विश्वास को स्वाभाविक रूप से बढ़ने देने के लिए मौका व माहौल प्रदान करना था जो हमारी तरफ से आगे भी जारी रहेगा। जाहिर है, लड़ाई के तौर तरीकों और अन्य मसलों पर आपसी समन्वय का माकूल तरीके से आगे बढ़ना और एक दूसरे से सीखने-सिखाने की भावना का मजबूत होना इसके लिए जरूरी है।
‘सर्वहारा’ के अगले अंक में हम इस आंदोलन के नए अनुभवों और NMSU के पिछले संघर्षों के अनुभवों और उनके सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पक्षों का समाहार करते हुए एक एकीकृत विश्लेषण सहित विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे।