यश राज
पढ़ोगे तो अपने भीतर के सन्नाटे से
दो चार होगे और
समझ में आएगा कि दुनिया
किसी आईटी सेल का चलाया हुआ ट्विटर ट्रेंड भर नहीं है
फेसबुक पर की गयी एक टिप्पणी
भर नहीं है, एक विडियो भर नहीं है
एक इन्स्टाग्राम की पोस्ट या रील भर नहीं है।
पढ़ोगे तो समझ में आएगी उनकी असलियत जो
नफरती भाषण और जुमलेबाजी से जनता को मूर्ख बना कर
आपके बच्चों को दंगाई बनाना चाहते हैं
आपको आपस में लड़ाना चाहते हैं।
पढ़ोगे तो समझ में आएगा कि दुनिया
कितनी सुंदर है जिसे पूंजीवाद ने
आज सड़ा दिया है।
पढ़ोगे तो उन अंधेरों से डर कम लगने लगेगा
जिसमें उन्होंने मासूम लोगों को धर्म, जाति और
अंधविश्वास के जाल में बांध रखा है।
पढ़ोगे तो समझ में आयेगा कि ये पन्ने पर
लिखी इबारत भर नहीं है
अलमारी में सजा कर पुस्तकें सिर्फ रखने भर के लिए नहीं है।
पढ़ोगे तो समझ में आएगा कि समाज में मनुष्य
को सर्वहारा और बुर्जुआ वर्ग में बांट दिया गया है
और दोनों में अंतर क्या है।
पढ़ोगे तो लोगों को समझा पाओगे कि जो
मजदूर इतनी मेहनत करते हैं, सारी दुनिया का
निर्माण करते हैं वे इसके बावजूद भी
आर्थिक अभाव से ग्रसित क्यों हैं?
पढ़ोगे तो समझ में आएगा कि समाज में सबसे ज्यादा
महिलाओं पर उत्पीड़न और दोहरा शोषण होते आ रहा है।
पढ़ोगे तो पाओगे कि गरीबी महंगाई भुखमरी
बेरोजगारी, अशिक्षा और शोषण से मुक्ति सिर्फ
उस नई व्यवस्था समाजवाद के उदय से ही होगी।
पढ़ोगे तो पाओगे कि जिस तरह रूस में मजदूर वर्ग से मिल कर
महिलाओं और सैनिकों ने समाजवाद लाया था
आज फिर से उसी इतिहास को दोहराने की जरूरत है।
(कवि गिग सेक्टर में काम करने वाले युवा मजदूर हैं।)