31 अगस्त को अप्रैल-जून 2020 की तिमाही जीडीपी में पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 23.9% कमी के आँकड़े जारी हुए। कृषि के अतिरिक्त सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट दर्ज की गई – निर्माण – 50%, मैनुफेक्चुरिंग – 39.3%, व्यापार व होटल – 47%, सेवा – 20%, विद्युत – 7%। दुनिया की... Continue Reading →
मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्यायालय नहीं
बयां से परे अपने ही देश में शरणार्थी हुए प्रवासी मजदूरों का दर्द (पहली किश्त) जब ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, महानगरों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव-घर की ओर पैदल चलते चले जाते प्रवासी मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ये सभी पूरी तरह व्यथित, बेबस, परेशान और बदहवास हैं,... Continue Reading →
जिंदा रहना है, तो कोरोना महामारी से उपजे हालात में गैरबराबरी के खिलाफ उठ खड़े हों
निशुल्क स्वास्थ्य सेवा, रोजगार, भोजन व आवास की गारंटी के लिए मुख्य दुश्मन पूंजीवाद को पलटने की लड़ाई तेज करें आज के समय में जब कोरोना महामारी या कोविद-19 समस्त मानव जाति के भविष्य को खतरे में डाल चुका है, पूंजीवाद इसके बावजूद मानव समाज के ही विरुद्ध कदम बढ़ा रहा है और युद्धरत है।... Continue Reading →
आर्थिक संकट के दौर में कोरोना महामारी और मजदूर वर्ग
29 मार्च, रविवार को दुनिया भर में कोरोना से लड़ने की तैयारियों में सबसे असंवेदनशील सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा मांगता हूं और मेरी आत्मा कहती है कि आप मुझे जरूर माफ करेंगे। क्योंकि कुछ ऐसे निर्णय लेने पड़ें हैं जिसकी वजह से आपको कई... Continue Reading →
मई दिवस की विरासत और मजदूर वर्ग के समक्ष चुनौतियां
मई दिवस से मजदूर वर्ग के राज्य तक, आज के बर्बर पूंजीवाद के विरुद्ध नईं उम्मीदों के पुनर्जीवन तक हम मई दिवस से, जिसे मजदूर दिवस भी कहते हैं, बस चंद घंटे दूर हैं। सभी वर्ग सचेत मजदूर जानते हैं कि यह हमारे पूर्वजों के द्वारा 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग के लिए... Continue Reading →
अर्थव्यवस्था को मजदूर चलाते हैं पूंजी नहीं
एस. वी. सिंह // विस्थापित मजदूरों पर हो रहे जुल्मों की व्यथा की एक से बढ़कर एक भीषण हृदयविदारक रिपोर्ट आना बंद नहीं हो रहीं। उनकी मौत और विनाश की ऐसी दिल दहलाने वाली, सच्चाईयां उजागर हो रही हैं जिनको किसी भी जिंदा इन्सान को सहन करना मुमकिन नहीं। देशभर से दिन रात हर वक्त... Continue Reading →
मजदूर-विरोधी श्रम सुधारों की महामारी
एस. राज // पूरे विश्व में फैले कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप ने दुनिया भर में तालाबंदी जैसी स्थिति सामान्य बना दी है। इस तालाबंदी में लगभग सभी उत्पादन संबंधित गतिविधियां अभूतपूर्व स्तर पर ठप पड़ी हैं जिसके कारण पहले से ही एक गंभीर संकट से जूझ रही विश्व पूंजीवादी व्यवस्था को इस महामारी और... Continue Reading →
कोरोना महामारी, सरकारी मदद और आम लोग : आईएफटीयू (सर्वहारा) द्वारा पटना शहर में किये गये सर्वे के आधार पर तैयार किये गये आलेख की पहली किश्त
"कोरोना से मरें न मरें, भूख से तो मरना तय है" - ये बोल आज हर गरीब आबादी के मुंह पर है। कोरोना महामारी की मार से आज देश का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है। चारो ओर बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी तथा सर्वत्र अभाव व्याप्त है। भुखमरी ने तो विकराल रूप धारण करते हुए एक... Continue Reading →
प्रवासी मजदूरों की असंगठित सेना
एस. वी. सिंह // बुर्जुआजी ने देश में शहरों का शासन स्थापित कर डाला है। इसने शहरी आबादी को ग्रामीण आबादी की तुलना में बहुत अधिक बढ़ा दिया और ऐसा करके उसने ग्रामीण आबादी के काफी बड़े भाग को देहाती जीवन की मूर्खता से बचा लिया।- मार्क्स एंगेल्स, कम्युनिस्ट घोषणा पत्र 24 मार्च का दिन... Continue Reading →