अभूतपूर्व बेरोजगारी और भारतीय पूंजीवाद

प्रसाद वी. // कोरोना के कारण किए गए लॉकडाउन ने भारत में बेरोजगारी दर को इतिहास में कभी न देखे गए स्तर तक पहुंचा दिया है। संकट इस वजह से और भी गंभीर हुआ क्योंकि सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता तक के लिए कोई व्यापक श्रम साध्य कार्यक्रम नहीं लिया जैसा ऐसे संकटों में... Continue Reading →

बेरोजगारी, आर्थिक मंदी और पूंजीवाद : आंदोलनरत युवाओं के नाम

रोजगार का सम्बंध उद्योग और अर्थव्यवस्था के सतत विकास से, यानी, दूसरे शब्दों में, आर्थिक गतिविधियों में मौजूद चहल-पहल और इसकी चहुंमुखी वृद्धि से है। मुनाफा की अंधी दौड़ पूंजीवाद की रूह होती है। पूंजीवाद में जो भी चीज़ होती या की जाती है उसकी यही प्रेरक शक्ति है। समाज के लिए इसके एक हद... Continue Reading →

सरकारी योजनाओं और घोषणाओ से परे, जमीनी वास्तविकता की ओर एक नजर

सरकार द्वारा गरीब मजदूरों को राहत पहुंचाए जाने के आंकड़े जो तस्वीर दिखाते हैं, वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग होती है। सरकारी आंकड़ों और जमीनी सच्चाई के अंतर को जानने के लिए कुछ ऐसी जानकारियों और घटनाओं पर नजर डालना ज़रूरी है जो सरकारी घोषणाओं, फर्जी विज्ञापनों से इतर वास्तविक सच्चाई का जीता जागता सबूत पेश... Continue Reading →

अभूतपूर्व बेरोज़गारी : देश के इतिहास में ऐसी हालत कभी नहीं रही

एस. वी. सिंह // कोरोना वायरस ने दुनियाभर में लड़खड़ाती-चरमराती पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं, को एकदम धराशायी कर दिया है, भारतीय अर्थव्यवस्था को शायद सबसे ज्यादा। ये महामारी इन्सानों और अर्थव्यवस्थाओं दोनों के लिए एक जैसी घातक सिद्ध हो रही है। झूठे प्रचार की नींव पर खड़ी हमारी तथाकथित ‘उभरती 5 ट्रिलियन’ वाली अर्थव्यवस्था का गुब्बारा फूट... Continue Reading →

Create a website or blog at WordPress.com

Up ↑