ए. प्रिया // कोरोना महामारी की गिरफ्त में पूरी दुनिया त्राहिमाम कर रही है और कुछ भी सामान्य नहीं रह गया है। इस अभूतपूर्व स्थिति के साथ ही, मौजूदा व्यवस्था की कमियां और सड़ांध भी सतह पर आ गई हैं। इतनी उथल-पुथल की स्थिति में बड़े क्रांतिकारी उभार के बीज जरुर छुपे होते हैं, लेकिन साथ ही पूंजीपतियों के लिए भी इतनी अराजकता के बीच अपना मकसद सिद्ध करने के अवसर होते हैं।