सर्वहारा (कमेंटरी)

‘सर्वहारा – समसामयिक मुद्दों पर पीआरसी की सैद्धान्तिक एवं राजनीतिक पाक्षिक कमेंटरी’ विश्व भर व विशेषतः भारत में घटित हो रही घटनाओं पर इसके पाठकों के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रदान करने की एक पहल है। इस पाक्षिक कमेंटरी के माध्यम से हम पूंजीवादी व्यवस्था के नृशंस कृत्यों को बेनकाब करने और इससे क्रांतिकारी ताकतों व वर्ग-सचेत सर्वहारा को दिशा प्रदान करने के लिए एक अभियान का प्रारंभ करने का प्रयास कर रहे हैं जो सर्वहारा वर्ग के सदरमुकाम के तौर पर हमारे कार्य को आगे बढ़ता है।

कमेंटरी की भाषा व्यापक जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लक्ष्य को देखते हुए रखी गयी है, लेकिन ठोस परिस्थितियों का ठोस विश्लेषण करते हुए स्पष्ट निष्कर्षों को सामने लाने में इसमें संकोच नहीं बरता गया है। कमेंटरी के लेख विभिन्न लेखकों  द्वारा तैयार किये गए हैं लेकिन छापने से पहले इन्हें संपादक मंडल द्वारा संयुक्त रूप से पढ़ा और संशोधित किया गया है, अतः लेखों के सम्बन्ध में पूर्ण जवाबदेही संपादक मंडल की है।

‘सर्वहारा – समसामयिक मुद्दों पर पीआरसी की सैद्धान्तिक एवं राजनीतिक पाक्षिक कमेंटरी’ विश्व पूंजीवाद के ढांचागत व सतत प्रतीत होने वाले संकट, जिससे विश्वभर के शासनों में तानाशाही और फासीवाद की तरफ झुकाव बन रहा है, के कारण उपजती घटनाओं पर क्रांतिकारी अंतर्दृष्टि प्रदान करने का लक्ष्य रखता है। इस संकट के लगातार गहराते जाने से, कालातीत होने के लिए बाध्य, पूंजीवाद प्रतिदिन और जनविरोधी व खूंखार बनता जा रहा है। अतः क्रांतिकारी ताकतों के सामने आज यह लक्ष्य है कि इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए गैरबराबरी और शोषण पर टिकी वर्तमान व्यवस्था के क्रांतिकारी अंत के लिए मार्ग सुनिश्चित करें।
ई-मेल : sarwahara.editor@gmail.com

अंक 1 – 15-30 अप्रैल ’20
अंक 2 – 1-15 मई ’20

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