10 नवंबर 2020 / हनुमान नगर, कंकड़बाग, पटना : विगत 10 नवंबर को हनुमान नगर इलाके में स्थित एक चार मंजिला इमारत से गिरकर महादेव साव नाम के एक मजदूर की मौत हो गई जो वहां पेंटिंग का काम कर रहे थे। मृतक मजदूर इफ्टू (सर्वहारा) के संपर्क के या सदस्य नहीं थे अतः घटना की सूचना हमें तब मिली जब इत्तेफाक से अस्पताल से निकलते वक्त हमारे साथियों की मुलाकात उनके परिवार से हो गई। कहीं से कोई मदद नहीं मिल पाने की स्थिति में वे लोग हार मान कर घर वापस लौटने का मन बना रहे थे, लेकिन इफ्टू (सर्वहारा) ने मामले को तुरंत हाथ में लेते हुए परिवार को भरोसा दिलाया कि लड़ाई लड़ी जाएगी और उन्हें लाश के साथ घटनास्थल पर चलने को कहा। इसके बाद घटनास्थल पर, यानी मालिक के घर के नीचे, मृतक मज़दूर की पत्नी, चार छोटे बच्चे और कुछ पड़ोसी मृतक मजदूर की लाश को ले कर बैठ गए और यह मांग करने लगे कि जब तक मुआवजा नहीं मिलता है, वे वहां से नहीं हटेंगे। यूनियन धीरे-धीरे अपनी ताकत जुटा ही रहा था कि देखते ही देखते चार-चार थानों की पुलिस आ गई और लाश को हटाने का दबाव बनाने लगी। लेकिन इसके बावजूद हमारे यूनियन के साथीगण वहीं टिके रहे और परिवारजनों के लिए मुआवजे की राशि के बतौर 5 लाख रुपये की मांग करता रहा। लेकिन मुख्य मालिक सामने नहीं आया और मालिक पक्ष के अन्य लोग बेहद असंवेदनशील तरीके से 10-20 हजार मुआवजा दे कर बात रफा-दफा करने की कोशिश में लगे रहे। जब मामला शांत होने के बजाय बढ़ता गया और जनता यूनियन के पक्ष में होती दिखी तो उन्होंने (मालिक पक्ष के संदिग्ध लोगों ने) इफ्टू (सर्वहारा) के साथियों को जान से मारने की धमकी दे कर डर व्याप्त करने की भी कोशिश की, लेकिन इससे मजदूरों का गुस्सा और भड़क गया।जब मालिक पक्ष मुआवजे के लिए राजी नहीं हुआ तो एफआईआर करने की कानूनी प्रक्रिया की तरफ इस आश्वासन के साथ बढ़ा गया कि पुलिस एफआईआर के तुरंत बाद कार्रवाई करे और तब तक लोग वहीं डटे रहेंगे। साथ मे यह भी कहा गया गया कि अगर पुलिस जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करती है तो यूनियन मालिक के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी लड़ाई उठाने को हम बाध्य होंगे। लेकिन इन सब के बीच जब मालिक पक्ष को यह एहसास हो गया कि जनता यूनियन के साथ है और यूनियन इस लड़ाई को अंतिम दम तक लड़ने पर अड़ा हुआ है तो फिर चौतरफा कार्रवाई के डर से मालिक पक्ष ने मृतक मजदूर के परिवारजनों (उनके चाचा और उनके भाई) को बुला कर 2 लाख 60 हजार की राशि मुआवजे के रूप में देने का वादा किया और वे मान गए। इसके बाद यूनियन ने सभी लोगों के सामने मृतक के भाई और चाचा से यह आश्वासन लिया कि मुआवजे की पूरी राशि मृतक की पत्नी के हाथ में दी जाएगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो यूनियन उनकी पत्नी और बच्चों के अधिकार के लिए लड़ने को बाध्य होगा। कुछ ही देर बाद मालिक ने मुआवजे की राशि परिवारजनों को दे दी। इसी के साथ परिवार जनों को लाश का पोस्टमॉर्टेम करवाने की बात कही गयी ताकि विभागीय करवाई भी हो सके। इसके साथ ही उपस्थित मजदूरों को भी लेबर कार्ड बनवाने और कार्यस्थल पर दुर्घटना से हुई मृत्यु की स्थिति में पोस्टमार्टम कराने के बारे में भी बताया गया ताकि लेबर विभाग से मिलने वाले मुआवजे के बारे में भी मजदूर जागरूक हों और अपने अधिकारों को पहचाने व उसे पाने की लड़ाई में एकजुट हो। इसके बाद जब यूनियन के साथियों ने दुबारा जानकारी ली और पूछताछ की तो यह पुष्ट हुआ कि मुआवजे की राशि उनकी पत्नी को मिल गई है और लाश का पोस्टमार्टम भी करा लिया गया है।इस मामले में भले ही यूनियन के दबाव में मुआवजे की राशि दे दी गई हो लेकिन मजदूरों की, खासकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की मौत कार्यस्थल दुर्घटना में आए दिन होती रहती है और उनके बेसहारा और अशिक्षित परिवारों की मजबूरी का फायदा उठा कर उन्हें मालिक पक्ष द्वारा या तो कुछ मुआवजा नहीं दिया जाता या फिर मुआवजे की राशि बेहद अपर्याप्त होती है। सरकार यानी लेबर विभाग से मिलने वाले मुआवजे के बारे में मजदूर पूरी तरह अनभिज्ञ हैं। अतः मुआवजा, जो मजदूरों व उनके परिवार का अधिकार है, के लिए मजदूरों को जागरूक करना और इस लड़ाई के लिए उन्हें लामबंद करना आज की जरूरत है और इफ्टू (सर्वहारा) इसी दिशा में प्रयासरत है और इस लड़ाई को आखरी दम तक लड़ने के लिए तैयार है।



Leave a Reply