सर्वहारा (कमेंटरी) – अंक 2 – 1-15 मई ’20

इस अंक में:

  • [संपादकीय] मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्‍यायालय नहीं
  • यह आर्थिक पैकेज नहीं, पूंजीवाद के संकट के पूरी तरह असाध्‍य हो जाने का घोषणापत्र है
  • [ग्राउंड रिपोर्ट] कोरोना महामरी, सरकारी मदद और आम लोग
  • जिंदा रहना है तो गैरबराबरी के खिलाफ उठ खड़े हों
  • दुनिया के कोने-कोने से उठा मजदूरों के विरोध का स्वर
  • मई दिवस: एनएलयू दिल्ली के संघर्षरत सफाई कर्मचारियों के लिए छात्रों का संदेश
  • [अतिथि कॉलम] कोरोना महामारी, आर्थिक संकट और मजदूरों पर कहर / अर्जुन प्रसाद सिंह
  • 22 मई 2020 को अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन पर ‘मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान’ (मासा) का संदेश

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