इस अंक में:
- [संपादकीय] मजदूरों का कोई देश नहीं, सरकार नहीं, न्यायालय नहीं
- यह आर्थिक पैकेज नहीं, पूंजीवाद के संकट के पूरी तरह असाध्य हो जाने का घोषणापत्र है
- [ग्राउंड रिपोर्ट] कोरोना महामरी, सरकारी मदद और आम लोग
- जिंदा रहना है तो गैरबराबरी के खिलाफ उठ खड़े हों
- दुनिया के कोने-कोने से उठा मजदूरों के विरोध का स्वर
- मई दिवस: एनएलयू दिल्ली के संघर्षरत सफाई कर्मचारियों के लिए छात्रों का संदेश
- [अतिथि कॉलम] कोरोना महामारी, आर्थिक संकट और मजदूरों पर कहर / अर्जुन प्रसाद सिंह
- 22 मई 2020 को अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन पर ‘मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान’ (मासा) का संदेश