यथार्थ – अंक 2 – जून 2020

इस अंक में:

▪️ [संपादकीय] क्या अमेरिका क्रांति के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है?

▪️ विरोध की आवाज पर हमले: “उन्होंने हमें दफनाने की कोशिश की, उन्हें नहीं मालूम था हम बीज हैं” / ए. प्रिया

▪️ ‘आपदा से अवसर’ – नवउदारवादी हमला और तेज / एम. असीम

▪️ 22 मई अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन : केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, अब यहां से किधर? / शेखर

▪️ अर्थ व्यवस्था को मजदूर चलाते हैं पूंजी नहीं / एस.वी. सिंह

▪️ मजदूर-विरोधी श्रम सुधारों की महामारी / एस. राज

▪️ ‘केरला मॉडल’ : कोविड-19 शायद इसका जीवनकाल बढ़ा दे / प्रसाद वी.

▪️ भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ता पूंजी संकेंद्रण / एम. असीम

▪️ [पाठकों का पन्ना]

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