इस अंक में:
▪️ [संपादकीय] क्या अमेरिका क्रांति के मुहाने पर आ खड़ा हुआ है?
▪️ विरोध की आवाज पर हमले: “उन्होंने हमें दफनाने की कोशिश की, उन्हें नहीं मालूम था हम बीज हैं” / ए. प्रिया
▪️ ‘आपदा से अवसर’ – नवउदारवादी हमला और तेज / एम. असीम
▪️ 22 मई अखिल भारतीय विरोध प्रदर्शन : केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, अब यहां से किधर? / शेखर
▪️ अर्थ व्यवस्था को मजदूर चलाते हैं पूंजी नहीं / एस.वी. सिंह
▪️ मजदूर-विरोधी श्रम सुधारों की महामारी / एस. राज
▪️ ‘केरला मॉडल’ : कोविड-19 शायद इसका जीवनकाल बढ़ा दे / प्रसाद वी.
▪️ भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ता पूंजी संकेंद्रण / एम. असीम
▪️ [पाठकों का पन्ना]